लोकसभा चुनाव 2024: सुल्तानपुर लोकसभा सीट से समझिए सियासत में कैसे घोड़े की चाल चलता है बसपा का हाथी?

  • शतरंज के खेल में हाथी की सीधी चाल
  • सियासी मैदान में चलता घोड़े की चाल
  • बसपा का प्रत्याशी तय करेगा चुनावी रंगत

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-06 05:04 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । उत्तरप्रदेश कि सुल्तानपुर सीट पर अभी तक भाजपा और सपा ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कीहै। भाजपा से मेनका गांधी तो सपा से भीम निषाद को मौका मिला है। भाजपा और सपा की ओर से जीत का दावा किया जा रहा है। लेकिन अभी यहां पिक्चर बाकी है। कयासबाजी के दौर में विश्वसनीयता की बात बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के ऐलान होते है,बदल जाएगी। इसके पीछे की मुख्य वजह यहां बीसपी दमदार स्थिति में नजर आती है, बसपा के यहां से दो बार सांसद निर्वाचित हुए है।

अनुसूचित जाति बाहुल्य इस लोकसभा क्षेत्र में बसपा कैंडिडेंट की घोषणा होते ही चुनावी फिजाएं किधर मुड़ेगी कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन ये तय है कि बीएसपी के दमदार प्रत्याशी से भाजपा और सपा में किसी एक दल को नुकसान होगा। इसे इस तरह समझ सकते है कि यदि बसपा सामान्य वर्ग से कैंडिडेट उतारती है तो भाजपा को नुकसान होगा और यदि बसपा मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में खड़ा करती है तो समाजवादी पार्टी को नुकसान होगा। 

वैसे आपको बता दें यहां छठे चरण में चुनावी वोटिंग होनी है, लेकिन चुनावी रंगत अभी से चढ़ने लगी है। जीत के कयासों की पंगत बढ़ने लगी है। बसपा प्रमुख मायावती अपनी नई रणनीतियों से चुनावी चाल रही है। कहा जाता है कि शतरंज के खेल में हाथी सीधी चाल चलता है। किंतु सियासत के खेल में बसपा का हाथी सीधी चाल ही चलेगा यह तय नहीं है। बसपा के दमदार प्रत्याशी से यहां हाथी सीधी नहीं घोड़े की तरह ढाई घर की भी चाल चल सकता है। जिससे सपा-भाजपा में किसी एक को नुकसान हो सकता है। 

आपको बता दें सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र में बसपा के हाथी ने घोड़े की चाल चलते हुए 1999 और 2004 में सीट पर विजय हासिल की थी। बसपा के  जय भद्र सिंह ने यहां पहली बार 1999 के आम चुनाव में  जीत हासिल की थी। इसके बाद अगले ही लोकसभा चुनाव में बसपा के मोहम्मद ताहिर ख़ान ने जीत का सिलसिला जारी रखा। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही बसपा ने भाजपा के पसीने छुड़ा दिए थे।

सुल्तानपुर में बसपा के प्रदर्शन से स्पष्ट होता है कि यहां बसपा बेहद महत्वपूर्ण दखल रखती है और उसका मजबूत प्रत्याशी, मूल वोट, चुनावी लड़ाई में नया समीकरण बना सकता है, जो किसी भी पार्टी पर भारी पड़ सकता है। अब ये देखना है कि बीएसपी प्रत्याशी के तौर पर यहां किस को मौका देती है। 

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