दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा: अब तक बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर नहीं मिला किसी आदिवासी-ओबीसी नेता को मौका, ब्राह्मणों का रहा है दबदबा
- 11 में से 1 बार दलित नेता को मिला मौका
- 45 फीसदी ब्राह्णण ही रहें बीजेपी अध्यक्ष
- 5 ब्राह्णण अब तक बन चुके है बीजेपी अध्यक्ष
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर तमाम अटकलें लगना शुरु हो गई है कि इस बार दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा का अध्यक्ष कौन होगा। राजनीतिक गलियारों में सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है। अध्यक्ष पद को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे है। सियासी पंडितों की माने तो इस बार किसी युवा ओबीसी महिला को ये जिम्मेदारी मिल सकती है। क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष बनने के इतिहास में अभी तक न तो किसी ओबीसी को मौका मिला है ना ही किसी महिला को। ये बात भी सच है कि किसी आदिवासी नेता को भी भाजपा ने अभी तक पार्टी प्रमुख नहीं बनाया है। ये भी चर्चा है कि पार्टी किसी दिग्गज आदिवासी नेता को मौका दे सकती है। वैसे आपको बता दें अभी तक बीजेपी के 11 अध्यक्ष बने है , जिनमें से सबसे अधिक 5 बार सिर्फ ब्राह्मण चेहरे को मौका मिला है, वहीं एक बार दलित को बाकी समय क्षत्रिय वर्ग का अध्यक्ष रहा है।
हाली ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने अपनी सरकार बना ली है। पीएम मोदी ने राष्ट्रपति भवन के परिसर में भव्य शपथ ग्रहण समारोह में अपने 71 कैबिनेट मंत्रियों के साथ शपथ ली। मोदी मंत्रिमंडल में बीजेपी अध्यक्ष नड्डा को मौका मिला है। ऐसे में अब नए अध्यक्ष पर विचार विर्मश पार्टी के भीतर चर्चा का विषय है। वैसे भी लोकसभा चुनाव तक के लिए नड्डा को बीजेपी अध्यक्ष का विस्तार मिला हुआ था। नड्डा के मंत्री पद संभालते ही अब नए अध्यक्ष के चुनाव की बारी है
अभी तक के बीजेपी अध्यक्षों की बात की जाए तो सबसे पहले बीजेपी चीफ का पद अटल बिहारी वाजपेयी ने संभाला था उनके बाद लालकृष्ण आडवाणी ने संभाला। लोकसभा चुनाव में बहुमत से पिछड़ी बीजेपी के लिए इस बार नया अध्यक्ष और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है जो पार्टी को मजबूत कर सके। ऐसे में अब देखना है कि अध्यक्ष की कुर्सी का असली हकदार कौन है, किसके हाथ में आती है बीजेपी की कमान। पार्टी किस नेता को चुनेगी, किस चेहरें पर लगेगी मोहर। ये देखना होगा।
चलिए जानते हैं अभी तक बीजेपी का अध्यक्ष पद किस- किसने संभाला है।
ब्राह्मण जाति के अटल बिहारी वाजपेयी साल 1980 से लेकर 1986 तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे। अटल बिहारी पहले शख्स थे जिन्होंने अध्यक्ष की कुर्सी संभाली। अटल बिहारी के बाद सन 1986 से लेकर 1991 तक लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के अध्यक्ष रहे। लालकृष्ण आडवानी ने सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष का पद संभाला। यह बीजेपी के दिग्गज नेताओं में से एक माने जाते हैं। । तीसरी बार बीजेपी के अध्यक्ष का जिम्मा जनरल वर्ग के मनोहर जोशी को मिला। यह साल 1991 से 1993 तक अध्यक्ष पद पर बने रहे। ये भी ब्राह्णण जाति से थे। जनरल वर्ग से आने वाले कुशाभाऊ ठाकरे सन 1998 से लेकर 2000 तक बीजेपी अध्यक्ष रहे। ब्राह्णण जाति से आने वाले जन कृष्णमूर्ति ने 2001 से 2002 तक अध्यक्ष का पद संभाला। जनरल वर्ग के नितिन गडकरी 2009 से 2013 तक अध्यक्ष रहे। ब्राह्णण जाति थे। जेपी नड्डा 2020 से 2023 तक अध्यक्ष पद संभाला। ब्राह्णण जाति से थे। राजनाथ सिंह ने 2005 से 2009 का बीजेपी अध्यक्ष पद संभाला। क्षत्रिय समाज थे। अमित शाह 2014 से 2020 तक अध्यक्ष रहे।
भारतीय जनता पार्टी में 1980 के बाद से अब तक जितने भी अध्यक्ष चेहरे रहे हैं उनमें से लगभग 45 प्रतिशत यानी कुल 5 ब्राह्मण जाति के थे। इनमें अटल बिहारी वाजपेयी, मुरली मनोहर जोशी, जन कृष्णमूर्ति, नितिन गडकरी, जेपी नड्डा का नाम भी शामिल है।
दलित समाज से आने वाले बंगारू लक्ष्मण को साल 2000 से 2001 तक अध्यक्ष का पद सौंपा गया। क्षत्रिय समाज थे। वेकैया नायडू ने 2002 से 2004 तक बीजेपी के अध्यक्ष पद पर बने रहे। तीन बार आडवाणी और दो बार राजनाथ सिंह सबसे अधिक अध्यक्ष रहे है।
अभी तक 45% ब्राहम्ण बीजेपी अध्यक्ष रहे
बता दें भारतीय जनता पार्टी में सन 1980 के बाद से इस समय तक, कुल 11 अध्यक्षो में से 45 प्रतिशत यानी कुल 5 ब्राह्मणों ने अध्यक्ष की कुर्सी संभाली। इन ब्राह्मण में यह लोग आते हैं-
• अटल बिहारी वाजपेयी
• मुरली मनोहर जोशी
• जन कृष्णमूर्ति
• नितिन गडकरी
• जेपी नड्डा
इन 11 अध्यक्ष में से 5 ब्राह्मण रहे और एक दलित। साल 2000 से लेकर 2001 तक, दलित समाज से आने वाले बंगारू लक्ष्मण को बीजेपी अध्यक्ष की कुर्सी सौंपी गई थी। बीजेपी ने अभी तक किसी आदिवासी और ओबीसी वर्ग से अभी तक अध्यक्ष नहीं बनाया है। इस बार बीजेपी युवा महिला के साथ साथ किसी आदिवासी या ओबीसी चेहरें पर विचार कर सकती है। आपको बता दें आदिवासियों को रिझाने के लिए बीजेपी इस समुदाय को मौका दे सकती है,वहीं यूपी में बीजेपी के खिसकते ओबीसी वोट बैंक के चलते किसी ओबीसी चेहरें पर मुहर लग सकती है। पीएम मोदी भी कई मौकों पर आदिवासी मतदाताों की तारीफ कर चुके है। उन्हें पार्टी का कोर वोट बैंक माने जाने लगा है। आदिवासी बाहुल्य वाले सात राज्यों में बीजेपी की सरकार है।