वर्षों तक किसी पार्टी से जुड़े रहने के बाद अलग होना आसान नहीं, संसद से उठाऊंगा अब स्वतंत्र आवाज: कपिल सिब्बल
राजनीति वर्षों तक किसी पार्टी से जुड़े रहने के बाद अलग होना आसान नहीं, संसद से उठाऊंगा अब स्वतंत्र आवाज: कपिल सिब्बल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कपिल सिब्बल बुधवार ने राज्यसभा के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया। हालांकि, सिब्बल ने अभी तक समाजवादी पार्टी की सदस्यता नहीं ली है, लेकिन 16 मई को ही उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। कपिल सिब्बल ने आईएएनएस से कहा कि, किसी पार्टी के साथ 30-31 सालों तक जुड़े हों और अलग होना पड़े तो आसान नहीं होता है।
राजनितिक पार्टी में एम्प्लॉई - एम्प्लॉयर जैसा रिलेशन नहीं होता है। मुझे व्यक्तिगत रूप से तय करना था कि मुझे आगे क्या करना है। संसद में मुझे स्वतंत्र रूप से आवाज उठानी चाहिए और मुझे यह मौका मिल रहा है तो उस मोके को मै लेना चाहता हूं।
हालांकि उनके पार्टी से अलग होने के बाद कांग्रेस नेता लगातार उनपर निशाना बना रहे हैं, कपिल सिब्बल ने उनपर हो रहे हमले पर कहा कि, कुछ लोग मेरे बारे में क्या बोल रहे हैं मुझे नहीं पता लेकिन मुझे यह जरूर पता है कि मैंने यह फैसला क्यों लिया है। सबकी व्यक्तिगत राय है उनको उनकी राय मुबारक।
कांग्रेस में फिर शामिल होने पर सिब्बल ने कहा कि, मैंने व्यक्तिगत रूप से कोई फैसला लिया है और मैं किसी पार्टी को कोई संदेश नहीं देना चाहता हूं। कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है उन्हें खुद पता है उन्हें क्या करना है।2024 में लोकसभा चुनाव को लेकर भी सिब्बल ने अपनी राय रखते हुए कहा कि, हम सब एक साथ आने की कोशिश और केंद्र की कमियों को जनता के सामने रखेंगे। फिलहाल जल्द सभी को मेरी आवाज संसद से सुनाई देगी तो पता चल जाएगा की मैं किन मुद्दों पर चर्चा करूंगा।
कपिल सिब्बल का जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। सिब्बल पंजाबी ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और दिल्ली की सियासत में उनका अहम रोल माना जाता रहा है, लेकिन वह हमेशा पार्टी में किसी न किसी बात पर असंतुष्ट रहा करते थे।
दरअसल यूपी से राज्यसभा के 11 सदस्यों का कार्यकाल चार जुलाई को समाप्त हो रहा है। इन 11 सीट के लिए दस जून को होने वाले चुनाव के लिए आज राज्यसभा के लिए सपा उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस नेता रहे कपिल सिब्बल ने नामांकन किया।
राज्यसभा में 100 सीट के कोटे में उत्तर प्रदेश से कुल 31 सदस्य चुने जाते हैं। उत्तर प्रदेश के जिन 11 सदस्यों का कार्यकाल चार जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है, उनमें भाजपा के पांच, समाजवादी पार्टी (सपा) के तीन, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो व कांग्रेस के एक सदस्य शामिल हैं।
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