देश के विकास में मप्र की महिलाओं का अमूल्य योगदान - राष्ट्रपति
मध्य प्रदेश सियासत देश के विकास में मप्र की महिलाओं का अमूल्य योगदान - राष्ट्रपति
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश के प्रवास पर आईं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि देश के विकास में मध्यप्रदेश की महिलाओं का अमूल्य योगदान रहा है। वे राजधानी के मोती लाल नेहरु स्टेडियम लाल परेड मैदान में महिला स्व-सहायता समूह के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मध्यप्रदेश में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। यहां लगभग 42 लाख महिलाएं स्व-सहायता समूहों से जुड़ कर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त हुई हैं। इन महिलाओं को सरकार के माध्यम से कृषि एवं गैर कृषि कार्यों के लिए 4157 करोड़ रुपए का बैंक ऋण दिलवाया गया है। प्रदेश में एक जिला-एक उत्पाद योजना द्वारा इनके उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाया गया है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आत्मनिर्भर और विकसित भारत के बनाने में महिला शक्ति की अधिक से अधिक भागीदारी जरूरी है। हमें ऐसा वातावरण तैयार करना है, जिससे सभी वर्ग की बेटियां निर्भीक एवं स्वतंत्र महसूस करें और अपनी प्रतिभा का भरपूर उपयोग कर सकें। महिलाओं के नेतृत्व में जहां-जहां कार्य किये जाते हैं वहां सफलता के साथ संवेदनशीलता भी देखने को मिलती है। सभी महिलाएं एक दूसरे को प्रेरित करें। एकजुट होकर विकास के रास्ते पर आगे बढ़े।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देश के विकास में मध्यप्रदेश की महिलाओं का अमूल्य योगदान रहा है। वीरांगना दुर्गाबाई, अहिल्याबाई, अवंतीबाई और कमलाबाई की गौरव गाथा हमारी विरासत है। वर्तमान समय में सुमित्रा महाजन, जनजातीय चित्रकार भूरी बाई, दुर्गाबाई व्याम और रतलाम की मदर टेरेसा कहीं जाने वाली डॉ. लीला जोशी महत्वपूर्ण नाम है। मुझे इन्हें पद्मश्री सम्मान देने का अवसर मिला।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आज आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, वैज्ञानिक, अनुसंधान, कला, संस्कृति, साहित्य, खेल-कूद, सैन्य बल आदि हर क्षेत्र में महिलाएं प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। कम से कम संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना महिलाओं को आता है। जब एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार, पूरा समाज शिक्षित होता है। महिलाओं का विकास ही देश का विकास है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि देश मात्र एक मिट्टी का टुकड़ा नहीं बल्कि राष्ट्र पुरूष है। उसकी दो संताने हैं एक बेटा और एक बेटी। यदि एक दुर्बल रह जाएं तो देश सशक्त नहीं हो सकता। देश की तरक्की के लिये दोनों का शिक्षित और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। दोनों का सम्मान भी जरूरी है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मेरे जीवन का यह अनुभव रहा है कि यदि मेहनत, लगन, सच्चाई और सफाई के साथ कार्य किया जाए तो आप निश्चित रूप से आगे बढ़ेंगे और सफल होंगे। मैंने अपने जीवन में यह अपनाया है। मैंने वार्ड मेम्बर के रूप में अपना कार्य शुरू किया तब यह नहीं सोचा था कि मैं राष्ट्रपति बनूंगी। मैंने हमेशा अपने कार्य को महत्व दिया। कभी पद के बारे में नहीं सोचा। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि स्व-सहायता समूह के सदस्यों में बचत की आदत विकसित करने के साथ ही समूह के नेतृत्व को स्कूली शिक्षा के प्रसार, महिला बाल पोषण, परिवार-कल्याण और आरोग्य के संबंध में जनजागृति के प्रयासों में जोड़ा जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू महिला सशक्तिकरण का प्रतीक हैं। उनका जीवन हमें प्रेरणा देता है। वे किसी राजा के नेता के घर नहीं साधारण परिवार में जन्मी हैं। उनको विरासत में कुछ नहीं मिला। साधारण गरीब परिवार में जन्म लेकर वे अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ी। पार्षद से मंत्री तक का सफर तय किया। मंत्री के रूप में उनके द्वारा महिलाओं और जनजातीय वर्ग के लिए किए गए कार्य सराहे गए। वे अब भारत के राष्ट्रपति के पद को सुशोभित कर रही हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मेरी यह इच्छा थी कि स्व-सहायता समूह की बहनों को राष्ट्रपति का मार्गदर्शन प्राप्त हो। आज हमें यह सुअवसर मिला। मेरी बहनों की जिंदगी बन जाए तो मेरा मुख्यमंत्री बनना सार्थक होगा।
(आईएएनएस)
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