भ्रष्टाचार की गंगा में अरविंद पांडे ने भी धोए हाथ, 8 रिश्तेदारों को दिलाई नौकरी!

उत्तराखंड भ्रष्टाचार की गंगा में अरविंद पांडे ने भी धोए हाथ, 8 रिश्तेदारों को दिलाई नौकरी!

Bhaskar Hindi
Update: 2022-09-03 10:01 GMT
भ्रष्टाचार की गंगा में अरविंद पांडे ने भी धोए हाथ, 8 रिश्तेदारों को दिलाई नौकरी!

डिजिटल डेस्क, देहरादून। उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों में धांधली को लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले के बाद पूर्व में पेपेरलीक के कई मामले उजागर हो गए हैं, वहीं अब भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं।

ताजा मामला पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के रिश्तेदारों को नौकरी देने को लेकर वायरल पत्र से जुड़ा है, जो सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा है। इस वायरल पत्र में अरविंद पांडे के 8 रिश्तेदारों का नाम शामिल है। आरोप है कि अरविंद पांडे ने मंत्री रहते हुए अपने भाई, भतीजे और दामाद को नौकरियों पर लगवाया था।

इस पत्र के वायरल होने के बाद से प्रदेश की राजनीति में भूचाल मच गया है। वायरल पत्र में अरविंद पांडे के आठ रिश्तेदारों को नौकरी देने का दावा किया जा रहा है। आरोप है कि अरविंद पांडे ने अपने कार्यकाल के दौरान कई रिश्तेदारों को नौकरी पर लगाया था। सभी 8 लोग बिहार और बाजपुर से बताए जा रहे हैं।

पूर्व मंत्री अरविंद पांडे पर आरोप है कि उन्होंने बिहार और बाजपुर के रहने वाले रिश्तेदारों को नौकरी दिलाई है। आरोप है कि बिहार के रहने वाले चार रिश्तेदारों सुनील पांडे को रुड़की इंटर कालेज, सोनू पांडे को हरिद्वार इंटर कॉलेज, धर्मेद्र पांडे को बालिका इंटर कॉलेज बहादराबाद एवं संतोष पांडे को संस्कृत विद्यालय हरिद्वार में नियुक्ति दिलाई गई। इसके अलावा बाजपुर निवासी उज्जवल पांडे को निदेशालय पंचायतीराज कार्यालय, रितिक पांडे को पौड़ी इंटर कालेज, जय किशन पांडे को जसपुर आदित्य इंटर कॉलेज एवं राजू पांडे को गुलरभोज इंटर कालेज ऊधमसिंह नगर में नौकरी दिलाई। आरोप है कि वर्ष 2017 से 2021 तक यह नौकरियां दिलाई गईं, जिसमें कुछ लोगों के दस्तावेज फर्जी हैं।

इन आरोपों के बीच पूर्व शिक्षा मंत्री एवं गदरपुर से भाजपा विधायक अरविंद पांडे ने कहा कि उनके शिक्षा मंत्री बनने से पहले विभाग में होने वाली नियुक्तियों में पैसा चलता था, लेकिन उनके मंत्री बनने के बाद सभी नियुक्तियां पारदर्शी तरीके से हुई। भर्ती में गड़बड़ी की किसी तरह की कोई गुंजाइश न रहे, इसके लिए उन्होंने 25 अंकों के साक्षात्कार को पांच अंक का करवाया। इसमें भी हर उम्मीदवार को कम से कम तीन अंक दिया जाना अनिवार्य करवाया गया।

पूर्व शिक्षा मंत्री का कहना है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को नियुक्तियां दिलाईं या नहीं, यह हकीकत सबसे सामने आ जाएगी। यदि कहीं कुछ गलत हुआ है तो उसकी जांच होनी चाहिए। पूर्व मंत्री ने कहा कि उनके शिक्षा मंत्री बनने से पहले विभाग में नियुक्तियों के नाम पर पैसा लिया जाता था। पैसा न मिलने पर 25 अंकों के साक्षात्कार में उसे कम अंक देकर बाहर कर दिया जाता था, लेकिन उनके मंत्री बनने के बाद विभाग में पारदर्शी तरीके से 15 हजार नियुक्तियां हुई।

उन्होंने कहा कि नियुक्तियों में किसी तरह की गड़बड़ी न हो, इसके लिए 25 अंकों के साक्षात्कार को पांच अंक का कराया। इसमें भी यह अनिवार्य किया गया कि साक्षात्कार के लिए आने वाले किसी भी उम्मीदवार को तीन अंक से कम न दिए जाएं। पूर्व मंत्री ने कहा कि किसी से कोई बात छिपती नहीं है। इस प्रकरण में उनकी छवि को खराब करने का प्रयास किया जा रहा है।

यही नहीं, उत्तराखंड के कई मंत्रियों ने अपने करीबियों को नौकरी पर लगाया है। वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पीआरओ, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या के पीआरओ, भाजपा के संगठन महामंत्री अजेय कुमार के पीआरओ और मुख्यमंत्री के दो ओएसडी की पत्नी को विधानसभा में नौकरी दी गई है।

वहीं भाजपा ने नेताओं ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल के कार्यकाल में पर भर्ती हुए उनके नजदीकियों की सूची जारी कर दी। इस सूची में कुंजवाल के बेटे और बहू का भी नाम है। वहीं कुंजवाल ने यह स्वीकार भी किया है कि उन्होंने अपने बेटे-बहू को नौकरी पर लगाया था, क्योंकि वे दोनों बेरोजगार थे। कुल मिलाकर यह बात अब यूकेएसएसएससी परीक्षा से कहीं आगे जा चुका है।

 

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