सुप्रीम आरक्षण के बाद ओबीसी सीटों पर पड़ेगा असर, आरक्षण से ऊपर निकलेगी पार्टी !
मध्य प्रदेश सुप्रीम आरक्षण के बाद ओबीसी सीटों पर पड़ेगा असर, आरक्षण से ऊपर निकलेगी पार्टी !
डिजिटल डेस्क, आनंद जोनवार, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मध्यप्रदेश में निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ होंगे। कई दिनों से राजनैतिक मुद्दा बना ओबीसी आरक्षण अब अपना असली रूप चुनावों में दिखाया। सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अहम पहलू की चर्चा की जाए तो न्यायालय ने अपने आदेश में आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को बरकरार रखते हुए कहा है कि किसी भी स्थिति में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं जाना चाहिए। साथ ही निकायवार आरक्षण की अधिसूचना एक हफ्ते में जारी कर, चुनाव की घोषणा अतिशीघ्र की जाए। सुप्रीम फैसले में राज्य सरकार की उन मांगों के अनुसार आरक्षण नहीं दिया जिनकी मांग प्रदेश सरकार कर रही थी। मध्यप्रदेश सरकार 2011 की जनगणना के आधार पर 48 फीसदी ओबीसी आबादी के लिहाज से 35 फीसदी ओबीसी आऱक्षण की मांग कर रही थी। जिसे शीर्ष कोर्ट ने नकार दिया। चूंकि एससी को 16 परसेंट और एस टी के 20 प्रतिशत आरक्षण को मिला दिया जाए तो 36 प्रतिशत आरक्षण होता है। सुप्रीम कोर्ट की 50 फीसदी सीमा के बाद ओबीसी को केवल 14 फीसदी आरक्षण ही मिलेगा। जैसा की सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है।
शिवराज के जश्न का भंडाफोड़,
— MP Congress (@INCMP) May 19, 2022
—ओबीसी आरक्षण घटने का जश्न मनाती बीजेपी।
शिवराज जी,
इधर ओबीसी का हक़ मारा गया,
उधर बीजेपी गिरोह में जश्न का माहौल ❓
“शर्म करो बेशर्मों” pic.twitter.com/lF8suD61Tf
मध्यप्रदेश सरकार संख्या बल के आधार पर ओबीसी वर्ग को 35 फीसदी आरक्षण देने की वकालात कर रही थी। जिसे उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया था, अब दोबारा सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट के बाद ओबीसी आरक्षण की मंजूरी दे दी है, जिस पर फिर से राजनीति होने लगी है। बीजेपी ओबीसी को मिले 14 फीसदी आरक्षण पर ही जश्न मना रही है जबकि पहले वह पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 35 फीसदी आरक्षण की मांग कर रही थी। बीजेपी कुछ नहीं से भला कुछ तो मिला इसी तर्ज पर सत्य की जीत मानकर पिछड़ों को न्याय मिलने की बात कह रही है। वहीं दूसरी तरफ तमाम अखबार और विपक्षी दल इसे बीजेपी और राज्य सरकार की हार मान रहे है। कांग्रेस पार्टी इसके पीछे ओबीसी को नए चुनावों में कम सीटों के मिलने का अनुमान लगा रही है।
बीजेपी नेताओं में हड़कंप,
— MP Congress (@INCMP) May 19, 2022
ओबीसी आरक्षण कम होने पर शिवराज को गुलदस्ता भेंट कर दिया, अब चारों तरफ़ किरकिरी।
शिवराज जी,
देखना ! कोई गुलदस्ता वापस माँगने न आ जाय।
बात अगर राजनैतिक दलों के बयानों के आंकड़ों और सुप्रीम कोर्ट से मिले ओबीसी आरक्षण की संख्या के आधार पर तुलना की जाए तो वहां से विवाद और नए समीकरण देखने को मिल जाएंगे। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल चुनावों में ओबीसी को 27 फीसदी से अधिक सीटें देने का वादा कर चुकी है। चूंकि अब ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण मिला है, तब राजनैतिक दल क्या 27 फीसदी या उससे अधिक सीटे ओबीसी को देंगे। वैसे आपको बता बीजेपी और कांग्रेस से इतर बसपा ने 50 फीसदी सीटें ओबीसी को देने का वादा किया है। राजनैतिक पार्टियों के बयानों के परिदृश्य पर गौर किया जाए तो ओबीसी को आरक्षण से अधिक सीटें मिलेगी। जो वर्तमान स्थिति और मिले आरक्षण से अधिक होगी। इसके उल्ट यदि आरक्षण के हिसाब से ओबीसी को सीटें मिली तो वह वर्तमान स्थिति से कम होगी। अब देखना होगा कि चुनाव के बात क्या स्थिति पैदा होती है।