क्षत्रिय या ओबीसी: मध्यप्रदेश को भाजपा शासनकाल में दो दशक से मिला ओबीसी वर्ग का सीएम, क्या अबकी बार क्षत्रिय वर्ग को मिल सकता है मौका?
- सीएम की रेस में सबसे आगे नरेंद्र सिंह तोमर
- ओबीसी वर्ग से प्रह्लाद पटेल आगे
- 10 दिसंबर को हो सकता है नाम का ऐलान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा, इसको लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे है। बीजेपी आलाकमान अभी तक सीएम चेहरे पर निर्णय लेने में असमर्थ नजर आई है। बीजेपी के टॉप लीडर्स इस बार नए चेहरे पर विचार कर रही है। इसके बाद से ये अनुमान लगाया जाने लगा कि मध्यप्रदेश को इस बार शिवराज के अलावा नया सीएम मिलने वाला है। और अटकलें लगाई जा रही है कि अबकी बार मध्यप्रदेश का मुखिया क्षत्रिय या पिछड़े वर्ग से बनाया जा सकता है। हालांकि आपको बता दें 2003 से मध्यप्रदेश में सीएम के रूप में बीजेपी ने ओबीसी वर्ग को ही मौका दिया है। अब की बार बीजेपी क्षत्रिय वर्ग से सीएम की घोषणा कर सकती है। इसके लिए बीजेपी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है जो विधायक दल का नेता चुनने के लिए प्रदेश में नवनिर्वाचित विधायकों के साथ बैठक करेंगे। 10 दिसंबर को भाजपा दफ्तर में विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। ऑब्जर्वर इसमें विधायक दल के नेता यानी सीएम के चेहरे की घोषणा करेंगे।
राजनीतिक जानकार क्षत्रिय सीएम बनने के पीछे की वजह बताते है कि 2003 की जीत के बाद से करीब दो दशक तक ओबीसी वर्ग का मुख्यमंत्री रहा है। बीजेपी नेतृत्व ने अबकी बार 3 केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को विधानसभा चुनावी मैदान में उतारा था, उनमें सबसे वरिष्ठ नरेंद्र सिंह तोमर थे, जिनके दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए बीजेपी ने मध्यप्रदेश में सरकार बनाई थी। तोमर और शिवराज की जोड़ी से भी सब परिचित है। नवनिर्वाचित विधायक नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा की सदस्यता और केंद्रीय कैबिनेट मंत्री पद से भी इस्तीफा दे दिया है।