लोकसभा चुनाव 2024: रायबरेली सीट पर नहीं तो किस सीट से प्रियंका गांधी लड़ेंगी चुनाव? जयराम रमेश की ट्वीट में कांग्रेस के 'सीक्रेट प्लान' का हिंट

  • जयराम रमेश ने कांग्रेस के सीक्रेट प्लान का दिया हिंट

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-03 11:19 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बीच आखिरकार कांग्रेस ने शुक्रवार को उत्तप्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट पर सस्पेंस खत्म करते हुए अपने कैंडिडेट्स के नामों के पत्ते खोल दिए। इस बार कांग्रेस ने अमेठी सीट पर किशोरी लाल शर्मा और रायबरेली सीट पर राहुल गांधी को उम्मीदवार बनाया है। राज्य की दोनों ही हाईप्रोफाइल सीटों पर दशकों से कांग्रेस से गांधी परिवार के उम्मीदवार ही उतरते आएं हैं। हालांकि, इस बार रायबरेली सीट पर प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी तब से तय माने जाने लगी थी। जब से कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकसभा से न जाकर राज्यसभा के जरिए संसद पहुंची थी। इन सबके बीच अब सोशल मीडिया एक्स पर कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश अपने एक ट्वीट में 'सीक्रेट रणनीति' की बात छेड़ी है। उनके इस ट्वीट से रायबरेली सीट के बजाए प्रियंका गांधी के अन्य सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें का बाजार गरमा गया है।

जयराम रमेश ने एक्स पर किया ट्वीट

कांग्रेस की ओर से रायबरेली और अमेठी सीट पर अपने कैंडिडेट फेस की घोषणा के तुरंत बाद जयराम रमेश के एक ट्वीट ने सियासी गलियारों में हलचल तेज कर दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि रायबरेली सीट से चुनावी मैदान में उतरने पर लोगों की अपनी-अपनी राय हैं। मगर यह याद रहे कि राहुल गांधी राजनीति और शतरंज के अनुभवी खिलाड़ी है। उन्होंने रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला काफी सोच समझकर लिया है। इसके बाद उन्होंने ट्वीट के आखिरी में लिखा, ' अभी शतरंज की कुछ चाले चलना बाकी है, कुछ देर और इंतजार कीजिए।'

इस बार कांग्रेस आलाकमान ने अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारी में बड़ा बदलाव किया है। इनमें से रायबरेसी सीट नेहरू-गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही हैं। इस सीट पर साल 2004 से कांग्रेस से सोनिया गांधी चुनाव लड़ती आई है। जबकि अमेठी सीट पर राहुल गांधी चुनाव लड़ते थे। हालांकि, इस बार पार्टी ने अमेठी से राहुल को न उतार कर किशोरी लाल को मौका दिया है। यूपी की दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के ऐलान में देरी पर कांग्रेस ने बयान दिया। पार्टी का कहना है कांग्रेस आलाकमान ने प्रत्याशियों के नामों पर मंथन करने के बाद यह फैसला लिया है। इसके अलावा प्रत्याशियों के नाम में देरी के पीछे का कारण इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी की भी है।

अखिलेश यादव ने रखी थी यह शर्त

उत्तरप्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। इन सीटों में से 16 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इस बारे में आज तक ने वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवाई के हवाला से रिपोर्ट पब्लिश की है। इसमें किदवाई ने कांग्रेस और सपा के बीच सीटों के समीकरण पर जानकारी साझा की है। किदवाई ने बताया है कि चुनाव से पहले सपा के प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस से सीट शेयरिंग फॉर्मेूल को लेकर एक शर्त रखी थी। इस शर्त के मुताबिक सपा प्रमुख ने यूपी की किसी भी एक लोकसभा सीट पर गांधी परिवार (राहुल और प्रियंका) को चुनाव लड़ने के लिए कहा था। अखिलेश की इस शर्त को मानने के सिवा गांधी परिवार के पास कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा था। इस वजह से कांग्रेस ने ऐन मौके पर राहुल गांधी को रायबरेली सीट पर चुनाव लड़वाने का फैसला लिया।

पत्रकार किदवाई ने आगे बताया कि कांग्रेस के अमेठी और रायबरेली सीट पर प्रत्याशियों के बदलने के फैसला इंटरनल सर्व से भी प्रभावित हुआ है। कांग्रेस की तरफ से इन दोनों सीटों पर कई तरह के इंटरनल सर्वे को कराया गया था। इनमें से 16 सर्वे की रिपोर्ट के रिजल्ट्स में रायबरेली सीट पर नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों की उम्मीदवारी पार्टी के पक्ष में थी। अगर साल 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस इस सीट को बचाने में कामयाब रही थी। मगर, कांग्रेस को अमेठी सीट पर इंटरनल सर्व के रिजल्ट अनुकूल नहीं रहे थे। इस सीट पर पार्टी को केवल 50 प्रतीशत जीत मिलने के आसार ही है। ऐसे में कांग्रेस ने शुक्रवार को अमेठी से राहुल गांधी को प्रत्याशी न घोषित करके उन्हें रायबरेली सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। इस फैसले के बाद से चर्चा तेज हो गई कि आखिर राहुल गांधी अमेठी से चुनाव क्यों नहीं लड़ रहे हैं? इस सवाल पर अब कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने जवाब दिया है।

भाजपा को झटका लगा है - जयराम रमेश 

जयराम ने सोशल मीडिया एक्स पर एक ट्वीट से अमेठी के बजाए रायबरेली सीट से राहुल गांधी से जुड़े सवालों का जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि रायबरेली सीट पर कई लोगों की अपनी अलग राय है। कांग्रेस के इस फैसले से भाजपा के समर्थक और चापलूस को तगड़ा झटका लगा हैं। खासतौर पर स्वयंभू चाणक्य परंपरागत सीट के बारे में बात करते थे। वह अब अपने अगले दाव को लेकर कुछ भी सोच नहीं पा रहे हैं।

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