विधानसभा चुनाव 2023: राजस्थान के सिरोही में हर जाति अहम, मतदाता चुनाव में निभाते है निर्णायक भूमिका

  • सिरोही जिले में तीन सीट
  • एक सीट सामान्य, 1-1 एससी और एसटी के लिए आरक्षित
  • बीजेपी का माना जाता है गढ़

Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-06 12:57 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  राजस्थान के सिरोही जिले में सिरोही समेत रेवदर और पिंड़वाड़ा तीन विधानसभा सीट आती है। सिरोही जिला गुजरात सीमा के पास है। प्राकृतिक नजरिए से सिरोही की अनोखी पहचान है। राव सहस्त्रमल ने 1425 ईस्वी में सिरोही राज्य की स्थापना की थी।

सिरोही को 1425 ईस्वी से पूर्व शिवपुरी को नाम से जाना जाता है. 1405 ईस्वी में शिवपुरी के नाम से इसकी स्थापना की गई थी तथा 1425 में इसका नाम बदलकर सिरोही कर दिया गया. सिरोही शहर अरावली पर्वत श्रृंखला की सिरणवा पहाड़ियों से घिरा हुआ खूबसूरत शहर है।

जिले में तीन सीट है, एक सीट सामान्य, एक एससी और एक एसटी के लिए आरक्षित है। जिले की राजनीति की बात की जाए तो हर जाति का यहां दबदबा है। यहां वैसे तो मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच देखने को मिलता है, लेकिन कभी कभी बीएसपी और निर्दलीय उम्मीदवार भी दोनों दलों  के लिए मुसीबत खड़ी कर देते है। यहां की तीनों सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। 

सिरोही -शिवगंज विधानसभा सीट

2018 में निर्दलीय संयम लोढ़ा

2013 में बीजेपी के ओटाराम देवासी

2008 में बीजेपी के ओटाराम देवासी

सिरोही-शिवगंज विधानसभा क्षेत्र में ओबीसी वर्ग में प्रजापत (कुम्हार), माली, चौधरी, रावणा राजपूत, घांची, सुथार, देवासी समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है। जबकि एससी और एसटी समाज में मेघवाल, हिरागर, भील, मीणा समुदाय की बड़ी संख्या है। जनरल वर्ग में राजपूत, राजपुरोहित, रावल और ब्राह्मण वोटर्स के लोग शामिल हैं। 22 फीसदी आबादी अनुसूचित जाति और 12 फीसदी आबादी अनुसूचित जनजाति हैं। 

रेवदर विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी से जगसीराम कोली

2013 में बीजेपी से जगसी राम कोली

2008 में बीजेपी से जगसी राम कोली

2003 में बीजेपी से जगसी राम कोली

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रेवदर विधानसभा सीट पर पिछले चार चुनावों में बीजेपी उम्मीदवार की जीत हो रही है। रेवदर को बीजेपी का अभेद किला माना जाता है। कोली और मेघवाल वोटर्स बाहुल्य वाला इलाका माना जाता है। साथ ही चोधरी,देवासी और सामान्य मतदाता हार जीत तय करते है। 1998 में यहां से कांग्रेस उम्मीदवार ने यहां से अंतिम जीत दर्ज की । यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। सड़क से लेकर शिक्षा, सफाई ,स्वच्छ और स्वास्थ्य सेवाओं की हालात खराब है।

पिंडवाड़ा-आबू विधानसभा सीट

2018 में बीजेपी से समाराम गरासिया

2013 में बीजेपी से समाराम गरासिया

2008 में कांग्रेस से गंगा बने गरासिया

2003 में बीजेपी से समाराम गरासिया

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित पिंडवाड़ा विधानसभा सीट पर आदिवासी मतदाताओं का बोलबाला है। राजस्थान का एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू भी इसी विधानसभा का हिस्सा है। 2013 से इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार की जीत हो रही है। यहां से बीजेपी  के समाराम गरासिया विधायक हैं। यहां गरासिया समाज का ही विधायक जीतता है। क्षेत्र में शिक्षा, बिजली, सड़क ,स्वास्थ्य और पानी की समस्या है। 

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