लोकसभा चुनाव 2024: फडणवीस से रार के बीच भाजपा में एकनाथ खडसे की री-एंट्री, वापसी के पीछे पार्टी का क्या है सियासी दांव?

  • देश में जल्द होने वाले हैं लोकसभा चुनाव
  • भाजपा में एकनाथ खडसे की फिर से होगी वापसी
  • देवेंद्र फडणवीस से चल रही है तकरार

Bhaskar Hindi
Update: 2024-04-08 06:59 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश में आगामी लोकसभा चुनाव के शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। ऐसे में राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों की दावेदारी, पार्टी की रणनीति और प्रचार पर पुरजोर तरीके से ध्यान दे रही है। इस बीच महाराष्ट्र में भाजपा के दिग्ग्ज नेता रहे एकनाथ खडसे की पार्टी में फिर से एंट्री होने वाली है। खडसे का भाजपा के साथ राजनीतिक संबंध काफी पुराना है। वह पार्टी से महाराष्ट्र विधानसभा में बतौर नेता विपक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा साल 1995 से भाजपा के मंत्री भी थे। खडसे लेवा पाटिल समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। एक समय उन्हें बीजेपी का बड़ा ओबीसी चेहरा माना जाता था। मगर, साल 2020 में उन्होंने भाजपा छोड़कर शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी पार्टी का दामन थाम लिया था। इसके बाद एनसीपी से खडसे को विधान परिषद का सदस्य नियुक्त किया गया था। हालांकि, अब वह भाजपा में फिर से शामिल होने जा रहे हैं। भाजपा में एकनाथ खडसे का 40 साल पुराना राजनीति सफर रहा है। हालांकि, एक तरफ जहां पार्टी में एकनाथ खडसे की दोबारा से वापसी होने वाली है। तो वहीं, दूसरी ओर भाजपा में उनके शामिल होने पर कई तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं। दरअसल, काफी समय से महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडवीस और एकनाथ फडवीस के बीच संबंधो में खटास चल रही है। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि दोनों नेताओं के बीच जारी टकराव को देखते हुए भाजपा का सियासी दांव क्या होगा?

खडसे-फडणवीस के बीच तकरार

खडसे और फडणवीस के बीच विवाद साल 2014 में राज्य की नई भाजपा सरकार के समय का है। जब सीएम पद की कुर्सी को लेकर दोनों नेता एक दूसरे से भीड़ गए थे। मुख्यमंत्री के लिए भाजपा खडसे को ओबीसी चेहरा होने के नाते चुन रही थी। मगर, सीएम फेस के लिए देवेंद्र फडवीस के नाम पर मुहर लगाई गई थी। इसके बाद पार्टी ने खडसे को कई महत्वपूर्ण विभाग का जिम्मा भी दिया था। मगर, इसके बावजूद खडसे और फडवीस के बीच संबंध बिगड़ते चले गए। फिर साल 2016 में एकनाथ खडसे के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। उनके खिलाफ करप्शन के आरोप लगाए गए। जिसके चलते खडसे को साल मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इन हालातों को देखते हुए एकनाथ खडसे और भाजपा के बीच दूरी बढ़ती चली गई। आखिरकार साल 2020 में उन्होंने भाजपा छोड़ने का फैसला किया था।

एकनाथ शिंदे को मिल सकता है यह पद 

बीजेपी से एकनाथ खडसे के जाने के बाद पार्टी ने अगला ओबीसी चेहरा विनोद तावडे़ को बनाया था। बता दें, विनोद तावड़े ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। इस वजह से सवाल बना हुआ है कि अब खडसे की वापसी के बाद पार्टी उन्हें किस जगह पर रखेगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी से एकनाथ खडसे महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने की चर्चा चल रही हैं। दरअसल, खडसे की उम्र 71 की है। 70 प्लस वाले फॉर्मूले को देखे तो इतनी उम्र वाले नेता किसी भी राज्य का गवर्नर बनने के लिए योग्य है। यदि ऐसा संभव होता है तो इससे भाजपा को दो फायदे होंगे। पहला यह कि जब खडसे राज्यपाल बन जाएंगे, तो पार्टी के प्रति लोगों के मन में ओबीसी नेता को सम्मान देने का संदेश जाएगा। दूसरा लाभ यह होगा कि पार्टी में देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ खडसे के बीच तनातनी पर लगाम लग जाएगी। वहीं, भाजपा में फडणवीस को छोड़कर खडसे की पार्टी के दिग्गज नेता गिरीश महाजन से भी तनातनी चल रही है।

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