संकट में सरकार!: सरकार बचाने की कवायद तेज! सीएम सैनी और खट्टर ने चंडीगढ़ में दो जेजेपी विधायकों से की मुलाकात
- संकट में है हरियाणा की सैनी सरकार!
- सीएम सैनी और खट्टर ने की जेजेपी विधायकों से मुलाकात
- तीन निर्दलीय विधायकों ने वापस लिया था समर्थन
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। अल्पमत में चल रही हरियाणा सरकार को बचाने की कवायद तेज हो गई है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ में जननायक जनता दल (जेजेपी) के दो विधायकों से मुलाकात की है। तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद से हरियाणा की सैनी सरकार अल्पमत में है। राज्य में इसी साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने वाला है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा की सैनी सरकार पर खतरे के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं। दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के प्रदर्शन में गिरावट आई है। पिछले लोकसभा चुनाव में 10 सीटों पर जीत दर्ज करने वाली भारतीय जनता पार्टी को इस बार सिर्फ 5 सीटों से संतोष करना पड़ा।
जेजेपी विधायकों से मुलाकात
तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद हरियाणा की सैनी सरकार संख्या बल के लिहाज से अल्पमत में है। इस वजह से प्रदेश भाजपा इकाई जेजेपी के विधायकों से संपर्क कर रही है। सीएम सैनी और खट्टर ने जेजेपी के असंतुष्ट गुट के दो विधायक से चंडीगढ़ में मुलाकात की है। जेजेपी के कुछ विधायकों को साधने की कोशिशों में जुटी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने रामनिवास सुरजाखेड़ा और जोगीराम सिहाग से मुलाकात की है।
हरियाणा के मौजूदा और पूर्व सीएम ने जिन से मुलाकात की है वो जेजेपी के नाराज गुट के विधायक हैं। मार्च में भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद दिल्ली में आयोजित जेजेपी की बैठक में पार्टी के 10 में से सिर्फ 5 विधायक पहुंचे थे। जोगी राम सिहाग, रामनिवास सुरजाखेड़ा, रामकुमार गौतम, देवेंद्र सिंह बबली और ईश्वर सिंह ने पार्टी की बैठक से दूरी बनाई थी। उसी समय से इन विधायकों के राज्य की भाजपा सरकार से मिल जाने की बात कही जा रही है।
निर्दलीय विधायकों ने वापस लिया था समर्थन
तीन निर्दलीय विधायकों ने प्रदेश की सैनी सरकार से समर्थन वापस लेकर लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया था। पंडूरी विधायक रणधीर गोलन, नीलोखेड़ी विधायक धर्मपाल गोंदल और चरखी दादरी विधायक सोमवीर सांगवान ने हरियाणा की सैनी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान करने के बाद तीनों निर्दलीय विधायकों ने पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा से मुलाकात की थी। हरियाणा में बहुमत के लिए 88 में से 45 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। फिलहाल सैनी सरकार के पास 43 विधायकों का ही समर्थन है। दो विधायकों की कमी के कारण भाजपा सरकार फिलहाल अल्पमत में है।
सितंबर से पहले नहीं होगा विश्वास मत परीक्षण
नायब सिंह सैनी सरकार ने 13 मार्च को विश्वास मत साबित किया था। नियमों के मुताबिक 6 महीने बाद ही विश्वास मत परीक्षण प्रस्ताव लाया जा सकता है। इस वजह से कोई भी 13 सितंबर से पहले विश्वास मत परीक्षण प्रस्ताव नहीं ला सकता है। यही वजह है कि अल्पमत में होने के बावजूद हरियाणा में भाजपा की सैनी सरकार सत्ता में बनी हुई है।