राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023: बीजेपी के गढ़ पाली में कांग्रेस को जीत की तलाश
- पाली में 6 विधानसभा सीट
- 5 पर बीजेपी एक पर निर्दलीय
- बीजेपी का दुर्ग पाली
डिजिटल डेस्क, जयपुर। पाली जिले में 6 विधानसभा सीटें है। पाली,बाली,जैतारण,मारवाड़ जंक्शन,सोजत,सुमेरपुर। पाली जिले पर्यटन, साफसफाई,खान पान के लिए प्रसिद्ध है, जिला अपने आप में समृद्ध ऐतिहासिक विरासत समेटे हुआ है। 2018 के विधानसभा चुनाव में 6 में से पांच सीटों पर बीजेपी का कब्जा रहा, जबकि एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ने बाजी मारी। 2018 में भले ही कांग्रेस राज्य सत्ता की कुर्सी पर विराजमान रही लेकिन पाली जिले में कांग्रेस का सूफड़ा साफ हो गया था।
पाली विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी से ज्ञानचंद पारख
2013 में बीजेपी से ज्ञानचंद पारख
2008 में बीजेपी से ज्ञानचंद पारख
2003 में बीजेपी से ज्ञानचंद पारख
1998 में बीजेपी से ज्ञानचंद पारख
सामान्य वर्ग के लिए सुरक्षित पाली विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है। करीब चार दशक से यहां कांग्रेस को जीत का इंतजार है। आपको बता दें 1985 में यहां से कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है। जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 20 फीसदी एससी वोटर्स.5 फीसदी एसटी वोटर्स है। जबकि 11 फीसदी मुस्लिम आबादी है। बीजेपी ने पाली से 1985 से जीत का सिलसिला शुरू किया था,1985 और 1990 में बीजेपी की जीत हुई थी, उसके बाद 1993 में यहां से निर्दलीय उम्मीदवार ने जीता, लेकिन 1998 से लेकर 2018 तक बीजेपी चुनाव जीतती आ रही है। पाली कपड़ा उद्योग के साथ साथ पर्यटन स्थ्ल भी है।
बाली विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी से पुष्पेंद्र सिंह
2013 में बीजेपी से पुष्पेंद्र सिंह
2008 में बीजेपी से पुष्पेंद्र सिंह
2003 में बीजेपी से पुष्पेंद्र सिंह
सामान्य सीट बाली में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होता है। पाली की तरह बाली भी बीजेपी का गढ़ है। 40 साल से बीजेपी विधायक का ही कब्जा है। क्षेत्र में राठौड़, चौहान, मेड़तिया, सोलंकी, राजपूत, चारण, राजपुरोहित के जमींदारों, चौधरी, देवासी, कुम्हार और मेघवाल लोगों की संख्या ज्यादा है। बाली अपने विशेष खान पान और साफ सफाई के लिए जाना जाता है। बाली के जातिगत समीकरण की बात की जाए तो करीब 18 फीसदी एससी,22 फीसदी एसटी आबादी है।
जैतारण विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी से अविनाश गहलोत
2013 में बीजेपी से सुरेंद्र गोयल
2008 में निर्दलीय दिलीप चौधरी
2003 में बीजेपी से सुरेंद्र गोयल
यहां पर एससी एसटी, मुस्लिम तथा रावत, मेहरात तथा काठात समुदाय के वोटर्स की संख्या अधिक है। ये मतदाता ही चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते हैं। यहां चुनाव में हार जीत का फैसला जाति चेहरे के आधार पर होता है। जातिगत गणित, विकास और परिवर्तन के मुद्दों से यहां चुनावी समीकरण बदल रहा है। समस्याओं की बात की जाए तो सडक़ों की हालत बेहदखराब है। पेयजल प्रमुख समस्या है।
मारवाड़ जंक्शन विधानसभा सीट
2018 में निर्दलीय खुशवीर सिंह
2013 में बीजेपी से केसाराम मेघवाल
2008 में बीजेपी से केसाराम चौधरीसोजत विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी से शोभा चौहान
2013 में बीजेपी से संजना अगरी
2008 में बीजेपी से संजना अगरी
2003 में बीजेपी से लक्ष्मी नारायण देव
खाद्यान में सबसे पोष्टिक खारचिया गेहूं मारवाड़ की जमीन पर उगाया जाता है। यहां बीजेपी और कांग्रेस केबीच कड़ी टक्कर होती है। यहां शिक्षा , सड़क, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी सबसे प्रमुख समस्या है।
सोजत विधानसभा सीट
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सोजत विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है। सोजत सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर 1990 से लेकर अब तक हुए 7 चुनावों में से 5 बार बीजेपी और 2 बार कांग्रेस को जीत मिली है।
2018 में बीजेपी से शोभा चौहान
2013 में बीजेपी से संजना अगरी
2008 में बीजेपी से संजना अगरी
2003 में बीजेपी से लक्ष्मी नारायण देव
सुमेरपुर विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी से जोराराम कुमावत
2013 में बीजेपी से मदन राठौर
2008 में कांग्रेस से बिना कक
2003 में बीजेपी से मदन राठौर
1962 से अब तक यहां 12 बार चुनाव हुआ है जिसमें से 6 बार कांग्रेस और 3 बार बीजेपी और तीन बार अन्य ने जीत हासिल की है। घांची, कुम्हार, राजपुरोहित, माली यहां चुनाव में निर्णायक भूमिका में होती है