लोकसभा चुनाव 2024: मध्य प्रदेश में बीजेपी को लगा 'सात का चक्कर', लोकसभा चुनाव से पहले निकालना होगा हल
- एमपी में 7 लोकसभा सीटों पर बीजेपी कर रही है नए उम्मीदवारों की तलाश
- सतना और मंडला में बीजेपी की मुश्किलें कई गुना ज्यादा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 29 लोकसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में हाल ही में विधानसभा चुनाव हुए हैं। जिसमें पार्टी ने 3 केंद्रीय मंत्री समेत 7 सांसदों को विधानससभा चुनाव के लिए टिकट दिया था। हालांकि, इस चुनाव में दो सांसद को हार का भी सामना करना पड़ा। अब बीजेपी राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है। लेकिन सवाल बना हुआ कि जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया गया था अब उनकी जगह पर आम चुनाव कौन लड़ेगा। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के सामने बड़ी चुनौती के तौर नए चेहरों को तलाशना भी है।
जो नेता राज्य चुनाव में सांसद से विधायक बने हैं उनके स्थान पर तो नए चेहरे को मौका देने की चर्चा जोरों पर है। मगर क्या उन्हें भी मौका दिया जाएगा जो विधानसभा चुनाव हार गए हैं? यह भी एक बड़ा सवाल है। ऐसे आइए समझते हैं कि बीजेपी को मध्य प्रदेश में जिन सात सीटों पर समस्याओं को सामना करना पड़ेगा वहां की स्थिति क्या है?
इन सीटों पर नए चेहरे की तलाश
बीजेपी ने जिन सासंदों को विस चुनाव के मैदान में उतारा था उनके लोकसभा सीट पर कुछ ऐसी स्थिति है। पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना से सांसद थे। यह क्षत्रिय बाहुल्य इलाका है। वहीं, प्रह्लाद सिंह पटेल नरसिंहपुर से विधानसभा चुनाव लड़े थे। लेकिन वे दमोह लोकसभा सीट से सांसद थे। यहां ओबीसी समाज की तदाद बहुत ज्यादा है। जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह विधानसभा चुनाव लड़े थे। वे जबलपुर के सांसद रहे हैं। जो कि सामान्य वर्ग बहुल क्षेत्र है। वहीं, रीति पाठक सीधी से सांसद रही हैं। यहां पर ब्राह्मण समाज काफी ज्यादा प्रभावी हैं। उदय प्रताप सिंह होशंगाबाद सीट से सांसद रहे हैं। यहां सामान्य वर्ग प्रभावी है। इसके अलावा दो सांसद सतना से गणेश सिंह और मंडला से फग्गन सिंह कुलस्ते को हार का सामना करना पड़ा है।
बीजेपी के लिए टेंशन
अब इन सातों लोकसभा सीटों पर बीजेपी को नए उम्मीदवार को उतारना होगा। सतना में ओबीसी वर्ग और मंडला में आदिवासी वर्ग का दबदबा है। ऐसे में बीजेपी हारे हुए सांसदों को दोबारा टिकट देने का फैसला नहीं कर सकती है। हालांकि, पार्टी एक अंदर एक सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या इन दोनों नेताओं को फिर से लोकसभा चुनाव के मैदान में मौका दिया जाना चाहिए? अगर इन दोनों नेताओं मौका दिया जाता है तो वहां कि जनता के बीच पार्टी की ओर से क्या संदेश दिया जाएगा? इन दोनों सीटों पर पार्टी लगातार कार्यकर्ताओं की क्षमता का आकलन करने में जुटी हुई है।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी के जो सांसद अपनी सीट पर चुनाव जीत गए हैं। उनकी जगह पर नए चेहरों की तलाश जरूरी है। लेकिन, पार्टी को सतना में ओबीसी और मंडला में आदिवासी समाज से बेहतर उम्मीदवार को तलाशना होगा।
पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी ने राज्य में 29 में 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को केवल एक छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर जीत हासिल हुई थी। इस बार के चुनाव में बीजेपी की नजर छिंदवाड़ा की सीट पर भी बनी हुई। यहां से प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सांसद हैं।