हाथरस हादसा: कौन हैं विश्व हरि भोले बाबा, जिनके सत्संग के दौरान मचा मौत का तांडव? अलीगढ़ कमिश्नर का दावा 107 की मौत!

  • हाथरस में हुआ बड़ा हादसा
  • भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़
  • 100 से ज्यादा लोगों की हुई मौत

Bhaskar Hindi
Update: 2024-07-02 14:18 GMT

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी के हाथरस में घटी घटना पर पूरा देश स्तब्ध है। अब तक इस हादसे में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में अधिकतर बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। इस हादसे के बाद लोगों के मन एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिरी भोले बाबा कौन हैं? जिनके सत्संग को सुनने के लिए हजारों लोग एकत्रित हुए थे।

आइए जानते हैं कौन हैं भोले बाबा और कैसे उनके लाखों-करोड़ों फॉलोअर्स बने.....

भोले बाबा मूल रूप से यूपी के एटा जिले के बहादुर गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा एटा जिले में ही ग्रहण की। उनके पिता किसान थे। भोले बाबा शिक्षा ग्रहण करने के बाद पुलिस में नौकरी करने लगे। करीब 18 साल नौकरी करने के बाद उन्होंने 90 के दशक में वीआरएस ले लिया। मौजूदा समय में वो अपने ही गांव में झोपड़ी बनाकर रहते हैं।

कुछ समय बाद उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया और उन्होंने अपना नाम बदलकर साकार विश्वहरि रख लिया। वह अन्य साधू-संतों की तरह भगवा या साधारण पोशाक नहीं पहनते बल्कि सफेद सूट, टाई और जूतों में दिखाई देते हैं। सत्संग के दौरान उनके साथ उनकी पत्नी भी रहती हैं। कई दफा उन्हें कुर्ता पजामा और सफेद टोपी लगाए भी सत्संग करते हुए देखा गया है।

इस वजह से शुरू किया सत्संग

यूपी के साथ ही भोले बाबा के पड़ोसी राज्यों में भी सत्संग होते हैं। जिनमें हजारों की संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। बाबा ने कई बार अपने सत्संग में बताया है कि वो कैसे सरकारी नौकरी छोड़ अध्यात्म में आ गए। बाबा के मुताबिक वीआरएस लेने के बाद उनका स्वयं भगवान से साक्षात्कार हुआ है। भगवान की प्रेरणा से ही उन्हें ये पता चला कि यह शरीर परमात्मा का ही एक छोटा सा अंग है। इसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन मनुष्य की भलाई में लगाने का निर्णय लिया।

बाबा के मुताबिक, वो खुद कहीं नहीं जाता, बल्कि भक्त उन्हें बुलाते हैं। भक्तों की आग्रह पर ही वो अलग-अलग स्थानों पर जाकर समागम करते हैं। मौजूदा समय में उनके यूपी समेत अन्य राज्यों में बड़े-बड़े अधिकारी चेले हैं। उनके समागम में आला अधिकारियों के साथ-साथ राजनेता भी शामिल होते हैं। बीते साल सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी उनके समागम का हिस्सा बने थे।

यूपी, राजस्थान और एमपी में हैं लाखों अनुयायी

भोले बाबा के अनुयायी यूपी के साथ राजस्थान और एमपी में बड़ी संख्या में हैं। जाटव समाज से आने वाले भोले बाबा की एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग में गहरी पकड़ है। इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय के लोग भी उन्हें मानते हैं। वह अन्य कथावाचकों और सत्संग करने वाले बाबाओं की तरह सोशल मीडिया पर पॉपुलर न हों पर जमीनी तौर पर उनके लाखों अनुयायी हैं। उनके सत्संग में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है।

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