UNSC सदस्यता: क्यों रोकना चाहते हैं भारत की स्थायी सदस्यता को ये देश? जानें क्या है इसका कारण

  • यूएनएससी की सदस्यता पर कई देश लगा रहे हैं रोक
  • भारत के लिए यूएनएससी सदस्यता जरूरी
  • क्या है यूएनएससी?

Bhaskar Hindi
Update: 2024-09-24 09:22 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन के बाद यूनाइटेड नेशन्स सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की परमानेंट सदस्यता को लेकर बात आगे बढ़ चुकी है। व्हाइट हाउस के साथ सारे ही लोग चाहते हैं कि यूएनएससी में भारत की परमानेंट तरीके से शामिल हो जाए। लेकिन यूएनएससी में भारत की परमानेंट सदस्यता पर चीन लगातार वीटो लगाता रहा है। इस बार भी चीन भारत की परमानेंट सदस्यता पर आपत्ति जता रहा है। अगर चीन मान भी जाता है तो कुछ और लोग हैं जो राह का कांटा बन रहे हैं। जिसमें यूनाइटेड फॉर कंसेंशस शामिल है। ये करीब 50 से ज्यादा देशों का संगठन है जिसका काम विरोध करना ही है।

क्या है यूएनएससी?

यूएन के बहुत से सब ग्रुप हैं। जिसमें से एक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी है। ये यूएन की सबसे शक्तिशाली शाखा है। इसमें 15 लोगों की जगह होती है। यूएनएससी में दो तरह की मेंबरशिप होती है जिसमें से एक स्थायी होती है और दूसरी अस्थायी। 15 लोगों की जगह में पांच स्थायी सदस्य हैं। जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और चीन शामिल हैं। बाकी के 10 ऐसे देश सदस्य होते हैं जो दो-दो साल में बदल दिए जाते हैं।

भारत लगा रहा जोर

भारत बहुत समय से यूएनएससी में सदस्यता पाने की कोशिश करता आ रहा है। यूएनएससी पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पक्की करने और यूएन चार्टर में हर तरीके का बदलाव को मंजूरी देने की जिम्मेदारी होती है। ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है क्योंकि सीधा असर दुनिया पर पड़ता है। वहीं अगर भारत को ये जगह मिली तो ग्लोबल लेवल पर उसे कई कूटनीतिक फायदे हो सकते हैं। भारत को सदस्यता मिलने के बाद वीटो पावर भी हाथ में आ जाएगी। जिससे इंटरनेशनल फैसलों में दखल अंदाजी कर सकते हैं। साथ ही आतंकवाद से भी डील करने के लिए ज्यादा पावर आ जाएगी।

कौन से देश कर रहे विरोध?

यूनाइटेड फॉर कंसेंशस (यूएफसी) वैसे कोई आधिकारिक ग्रुप नहीं है। लेकिन इसमें कई देश शामिल हैं जिसके चलते इनकी नाराजगी कोई नहीं मोल लेना चाहेगा। 90 के दशक में बने यूएफसी का कहना है कि, सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य पांच ही रहने चाहिए। भारत, जापान, जर्मनी या दक्षिण अफ्रीका कोई भी इसमें शामिल ना हो। इसकी जगह पर अस्थायी सदस्यों को बढ़ा सकते हैं।

विरोध के पीछे की दलील क्या

भारत के साथ चार और देशों की मेंबरशिप पक्की होने की बात चल रही है। जिसको जी4 भी कहते हैं। यूएफसी इन चार देशों का विरोध कर रहा है। जिसमे लॉजिक दिया है कि परिषद में सदस्य बढ़ने से असंतुलन आ सकता है। सारे देश अपनी बातें करेंगे और ग्लोबल मुद्दों पर परेशानी आएगी। यूएफसी में शामिल देश ये भी मांग कर रहे हैं कि वीटो पावर में कुछ बदलाव किया जाए या तो खत्म किया जाए। जिससे सब मिल जुलकर फैसला ले पाएं। लेकिन ऐसा करने से इस संस्था का डर और दबदबा खत्म होने की संभावना है जिसके चलते सुरक्षा परिषद इस पर राजी नहीं हो रहे हैं। 

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