किसान आंदोलन: पूरे एनसीआर में लगा जाम, जानें दिल्ली कूच पर क्यों अमादा हैं किसान, क्या हैं उनकी मांगे?
- दिल्ली कूच पर निकले नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसान
- अपनी जमीन का बढ़ा मुआवजा चाहते हैं किसान
- पुलिस ने बॉर्डर पर रोका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नोएडा के 149 गांवों के किसान आंदोलन की राह पर हैं। गुरुवार को हजारों की संख्या में किसानों ने दिल्ली की तरफ कूच किया, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। जहां एक ओर किसान दिल्ली में घुसने को आतुर हैं तो वहीं दूसरी तरफ पुलिस उन्हें रोकने के लिए सीमा पर पूरी तैयारी के साथ खड़ी है। आगे बढ़ रहे किसानों को पुलिस ने बॉर्डर पर रोक लिया है। जिसके बाद किसान वहां बैठकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं किसानों के प्रदर्शन के चलते नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और डीएनडी पर लंबा जाम लग गया है। यहां वाहन रेंगते नजर आ रहे हैं, जिस वजह से आम लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बीकेपी नेता सुखबीद बादल खलीफा ने ऐलान किया है कि किसान अपनी मांगो को लेकर दबाव बनाने के उद्देश्य से संसद भवन की ओर मार्च करेंगे। आइए जानते हैं कि किसान किन मांगो को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
क्यों नाराज हैं किसान, क्या हैं मांगें?
किसानों के इस आंदोलन को कई किसान संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। दरअसल, किसान संगठन दिसंबर 2023 से नोएडा और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की तरफ से अधिग्रहीत अपनी जमीनों के बदले बढ़े हुए मुआवजे और विकसित भूखंड देने की मांग को लेकर विरोध- प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि एनटीपीसी के मुआवजे में एक नीति नहीं है, अलग-अलग रेट पर मुआवजा दिया गया है। इसके साथ ही वादे के मुताबिक नौकरी भी नहीं दी गई हैं।
मांगें
- एनटीपीसी के मुआवजे में एक नीति अपनाई जाए
- वादे के मुताबिक नौकरी दी जाए
- 10 फीसदी विकसित भूखंड दिए जाएं
- अंसल बिल्डर ने किसानों को जो मुआवजा नहीं दिया वो दिया जाए
- एमएसपी की गारंटी वाला कानून लागू किया जाए
बता दें कि सरकारी परियोजनाओं, विकास कार्य समेत कई दूसरे प्रोजेक्ट के लिए सरकार ने दिल्ली-एनसीआर से सटे गांवों की जमीनें अधिग्रहीत की थीं। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि जमीन के बदले उनको नौकरी, मुआवजा और विकसित भूखंड देने का वादा किया गया था। जिसे प्राधिकरण की तरफ से पूरा नहीं किया।
इसके बाद अपनी मांगो के निस्तारण के लिए किसानों ने 7 फरवरी को नोएडा में महापंचान का आयोजन किया। जिसमें 8 फरवरी को दिल्ली कूच करने का निर्णय लिया गया।