रेल हादसे पर रेल मंत्री के इस्तीफे की मांग ने दिलाई लाल बहादुर शास्त्री की याद, एक फैसले से बन गए थे मिसाल

Bhaskar Hindi
Update: 2023-06-03 16:07 GMT

डिजिटल डेस्क, बालासोर। ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम ट्रेन हादसे में 288 लोगों की मौत हो गई, जबकि 900 से अधिक यात्री अभी घायल बताए जा रहे हैं। ये हादसा बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास शाम करीब 7 बजे हुआ. इस हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. हादसे के बाद पीएम नरेंद्र मोदी सहित रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और बंगाल सीएम ममता बनर्जी भी घटनास्थल पर इस गंभीर मामले का जायजा लेने पहुंचे। इस दुर्घटना के बाद से सोशल मीडिया पर लोग लगातार रेल मंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब देश में रेल हादसे की खबर सामने आई है, इससे पहले भी इस तरह की घटनाएं देश में हो चुकी हैं। ऐसे में जब से रेल मंत्री के इस्तीफे को लेकर देश में बहस छिड़ गई है, तब से लोगों को लाल बहादुर शास्त्री का वो वाक्या याद आ गया है, जिसमें उन्होंने रेल हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया था।

तत्कालीन रेलमंत्री शास्त्री ने आहत होकर दिया था इस्तीफा

1956 में महबूबनगर रेल हादसे में 112 लोगों की मौत हुई थी। तब तत्कालीन रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस्तीफा दे दिया। लेकिन इसे तब प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे जवाहर लाल नेहरू ने स्वीकार नहीं किया था। तीन महीने बाद ही अरियालूर में रेल दुर्घटना में 114 लोग मारे गए। तब शास्त्री ने फिर से इस्तीफा दे दिया। लेकिन इस बार नेहरू ने शास्त्री का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। हालांकि, उस दौरान नेहरू ने साफ-साफ शब्दों में संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि वह इस्तीफा इसलिए स्वीकार कर रहे हैं ताकि यह आने वाले समय में एक मिसाल बने। इसलिए नहीं कि हादसे के लिए किसी भी रूप में शास्त्री जिम्मेदार हैं।

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