नहीं मिली राहत: एससी ने शाहजहां शेख मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की अपील पर तुरंत सुनवाई से किया इंकार
- सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से किया इंकार
- हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एससी पहुंची थी ममता सरकार
- मुख्य न्यायाधीश के फैसले का इंतजार करने को कहा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बंगाल हाई कोर्ट ने संदेशखाली और शाहजहां शेख मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद राज्य की ममता सरकार उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंची। ममता सरकार ने शेख शाहजहां और संदेशखाली मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए दायर अपील पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी। राज्य सरकार की इस अपील को सुप्रीम कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार की अपील पर तुरंत सुनवाई से इंकार कर दिया है।
हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था जिस पर ममता सरकार को फिलहाल कोई राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती देने के लिए इस मामले पर तुरंत सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश के आदेश की प्रतीक्षा करने को कहा है। याचिका में दलील दी गई है कि हाईकोर्ट ने जो 4:30 बजे तक का समय दिया है वह राज्य सरकार के अधिकारों का हनन करता है।
हाईकोर्ट पर आरोप
बंगाल की ममता सरकार ने हाईकोर्ट पर कई आरोप लगाए हैं। राज्य सरकार का मानना है कि उनपर बेबुनियाद आरोप लगाकर हाईकोर्ट ने सीबीआई को केस ट्रांसफर कर दिया है जबकि एसआईटी सही तरीके से जांच कर रही थी। ममता सरकार ने सीबीआई को केस ट्रांसफर करने के फैसले को गलत बताया है। उनका कहना है कि राज्य की पुलिस ने मामले में तेजी दिखाते हुए उसकी गिरफ्तारी की और मामले की जांच अभी भी चल रही है।
संदेशखाली मामले में काफी दिनों से गहमागहमी चल रही है। विपक्षी पार्टियां इस मामले में ममता सरकार और टीएमसी पर लगातार हमलावर रही है। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता सरकार की कड़ी आलोचना की थी। कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया था कि राज्य सरकार संदेशखाली के दरिंदों की मदद करती है। उन्होंने यह भी कहा था कि बंगाल में दरिंदों का राज है जिसे राज्य सरकार ही पालती है।