मणिपुर हिंसा में हुई छह और लोगों की हत्या, मरने वालों का ऑफिशियल आंकड़ा पहुंचा 160 के पार
- देर रात कई इलाकों में हुई गोलीबारी
- आईआरएफ के एक जवान की हत्या
डिजिटल डेस्क, मणिपुर। देश के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जारी हिंसा खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। पिछले तीन महीनों से जारी इस हिंसा के ऑफिशियल आंकड़ों के मुताबित अब तक 160 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन बावजूद इसके यह हिंसा और मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आयदिन की तरह शनिवार को भी प्रदेश में कम से कम 6 लोगों की मौत होने की जानकारी सामने आई है, जिसमें आईआरएफ का एक जवान भी शामिल है।
देर रात कई इलाकों में हुई गोलीबारी
जानकारी के अनुसार, प्रदेश के कई इलाकों में शनिवार देर रात तक गोलबारी होती रही। इस दौरान क्वाता इलाके में मैतेई समुदाय के तीन लोगों को उनके घरों में घुसकर मौत के घाट दिया गया। यहां तक की हमलावरों ने हत्या के बाद शव को तहस-नहस कर दिया। इस घटना के कुछ ही घंटों बाद ऐसी ही एक घटना चुराचांदपुर जिले से भी सामने आई। जहां कुकी समुदाय के दो लोगों की हत्या कर दी गई।
हिंसा होने का मुख्य कारण
हिंसा की मुख्य वजह मणिपुर हाईकोर्ट का एक आदेश, अदालत ने प्रदेश के बीरेन सरकार को आदेश दिया की वो मैतेई समुदाय को जनजाति आदिवासी का दर्जा दें। अदालत के इस आदेश पर कुकी समुदाय और संगठनों ने तुरंत अपना विरोध जताया और 3 मई को प्रदेश के चुराचांदपुर जिले में इसके विरोध में आदिवासी एकता मार्च निकाला। इसी दौरान मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसक झड़प की पहली खबर आई थी जो अब तक जारी है।
40 फीसदी आबादी के साथ कुकी समुदाय मणिपुर के 90 फीसदी पहाड़ी इलाकों पर निवास करता है जबकि अधिक आबादी होने के बाद भी मैतेई समुदाय का हक 10 फीसदी क्षेत्र पर ही है। 53 फीसदी आबादी वाले मैतेई समुदाय के लोग राज्य के मैदानी इलाकों में निवास करते हैं। 40 फीसदी होने के बावजूद अधिक इलाकों पर कब्जे के साथ कुकी समुदाय के लोग घाटी में भी रह सकते हैं जबिक मैतेई समुदाय पहाड़ी इलाकों में न जा सकते हैं न ही वहां की जमीन खरीद कोई अन्य काम कर सकते हैं।
मैतेई समुदाय को जनजाति आदिवासी का दर्जा मिल जाने पर कुकी समुदाय के समान हो जाएंगे, वो भी कहीं जाकर और अपना धंधा शुरू कर सकते हैं। इसी को देखते हुए कुकी समुदाय ने सबसे पहले विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया और धीरे-धीरे विरोध की चिंगारी आग की लपटों में तब्दील होती गई और आज पूरा प्रदेश हिंसा की आग में जल रहा है।