श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन: बालासाहेब देवरस के नेतृत्व में राम मंदिर आंदोलन में शामिल हुआ था आरएसएस, ताला खुलवाने में अहम थी भूमिका
- संघ के तीसरे सरसंघचालक थे बालासाहब देवरस
- इनके कार्यकाल में दो बार प्रतिबंध झेल चुका था संघ
- राम मंदिर आंदोलन निभाई महती भूमिका
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 22 जनवरी को राम मंदिर आंदोलन को अर्थ मिलने वाला है। इस दिन श्रीराम जन्मभूमि के लिए चलाए गए दशकों लंबा आंदोलन फलीभूत होने जा रहा है। राम मंदिर के लिए हिंदू समाज ने काफी लंबे समय तक संघर्ष किया। अब जब इस कठिन संघर्ष का फल देश के संपूर्ण हिंदू समाज को मिलने जा रहा है तो इस दौरान मंदिर स्थापना के लिए खास प्रयास करने वाले लोगों को भी याद किया जा रहा है। 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भेजे जा रहे निमंत्रण पत्र के साथ एक 'संकल्प' बुकलेट भी दी जा रही है। इस बुकलेट में दशकों तक चलने वाले श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में विशेष योगदान देने वाले 21 लोगों के बारे में जानकारी दी गई है। 21 महान व्यक्तित्व की सूची में तीसरे सरसंघचालक बालासाहेब देवरस का नाम भी शामिल है जिन्होंने आंदोलन को उत्कृष्ट नेतृत्व प्रदान किया।
आंदोलन में शामिल हुआ संघ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीसरे सरसंघचालक बालासाहब देवरस के नेतृत्व में ही संघ राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बना। आंदोलन का हिस्सा बनने के बाद धीरे-धीरे आरएसएस ने इसके नेतृत्व की जिम्मेदारी संभाली। इस सब में बालासाहेब ने मार्गदर्शन से लेकर छोटे-बड़े हर इंतजाम पर पूरा ध्यान दिया। आंदोलन के दौरान उन्होंने संघ और विहिप के बीच समन्वय बिठाने का महत्वपूर्ण काम किया। वह जमीनी स्तर से काम को देखते थे। बालासाहेब ने जिला स्तर पर संघ की शाखाओं में कारसेवकों को तैयार किया। इसके अलावा आंदोलन की रणनीति बनाने और प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को जोड़ने का काम भी वह करते थे। अन्य हिंदू नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने विवादित परिसर से ताला खुलवाकर फिर से रामलला की पूजा शुरू करवाने का काम किया।
आंदोलन के दौरान कारसेवकों को अयोध्या लाने के इंतजाम से लेकर वहां रूकने और उनकी खाने-पीने की व्यवस्थाओं को बी बालासाहेब ही देखते थे। कारसेवा के बाद कार्यकर्ताओं को वापस भेजने का प्रबंध उनके अगुवाई में संगठन के दूसरे अधिकारी करते थे। चाक-चौबंद व्यवस्थाओं के कारण ही कार्यसेवक कड़ाके की ठंड में भी अयोध्या में काम पूरा होने तक डंटे रहते थे।
कार्यकाल मे संगठन पर लगा दो बार प्रतिबंध
बालासाहेब देवरस के नेतृत्व में आरएसएस पर दो बार प्रतिबंध भी लगा। पहला प्रतिबंध इंदिरा गांधी के शासन में 1975 में इमरजेंसी के दौरान लगा था। दो साल बाद इंदिरा गांधी के लोकसभा में हारने के बाद संघ पर से यह बैन हटा था। वहीं दूसरा प्रतिबंध 1992 में केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार के आदेश पर लगा था। संगठन पर यह बैन बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद सरकार ने लगाया था, जो कि 6 महीनों तक लागू रहा। इमरजेंसी के दौरान बालासाहेब देवरस को जेल भी जाना पड़ा। इस दौरान उन्होंने 20 महीने जेल में बिताए और आपातकाल खत्म होने के बाद 21 मार्च 1977 को जेल से बाहर आए।