फिर हिंसा: मणिपुर में बिगड़ते हालात को देखते हुए दंगा नियंत्रण वाहनों के साथ आरएएफ को बुलाया गया
- मणिपुर में हिंसा का नया दौर
- हिंसा की आग में फिर सुलगा मणिपुर
- सेना ने तैनात किए एंटी ड्रोन सिस्टम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मणिपुर में एक बार फिर से हिंसा देखी जा रही है।हालातों पर काबू पाने के लिए दंगा नियंत्रण वाहनों के साथ आरएएफ को बुलाया गया है। आपको बता दें एक साल से अधिक समय से मणिपुर में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रदर्शनारियों और पुलिस के बीच तनाव देखने को मिल रहा है। पूरे मणिपुर में 15 सितंबर तक इंटरनेट की सेवाएं बंद कर दी है। COCOMI (कोओर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि भारतीय सशस्त्र बलों से पांच दिनों के भीतर संकट से निपटने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग की गई है।
आपको बता दें हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में पिछले साल 3 मई को मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। दो जातियों के लड़ाई में एक साल के भीतर मणिपुर में अब तक दो सौ से अधिक लोगों की मौत हो चुकी हैं।
मणिपुर में 3 मई 2023 से आरक्षण को लेकर कुकी और मैतई दोनों समुदायों के बीच हिंसा का दौर शुरू हुआ था। सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी तब से अब तक राज्य में शांति बहाली नहीं हुई है। मैतई समाज के लोग घाटी में रहते हैं जबकि कुकी समुदाय के लोग पहाड़ों पर निवास करते रहते हैं। हिंसा शुरू होने के बाद दोनों समुदायों के लोग एक-दूसरे के स्थानों पर नहीं जाते। हाल ही में जिरीबाम जिले में ताजा हिंसा की घटना सामने आई जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई। मणिपुर में 53 फीसदी मैतई और 40 फीसदी नागा और कुकी आदिवासी वर्ग रहता है। मैतई समुदाय के लोग इम्फाल घाटी में रहती है। जबकि आदिवासी लोग पहाड़ी इलाकों में रहते है।