राज्य सभा: बजट सत्र में ये अहम बिल फंसने की संभावना, राज्यसभा में हुई सांसदों की संख्या कम, बीजेपी को इतनी सीटों का घाटा
- राज्य सभा के 4 सांसद रिटायर
- क्या होगी बीजेपी की रणनीति?
- राज्य सभा की सीटों का गणित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद में लोकसभा और राज्यसभा में सत्ता की पार्टी के सांसदों की संख्या कम होने से सरकार के कामों पर इसका असर पड़ने लगता है। ऐसे में कुछ जरूरी बिलों को विपक्ष के टांग अड़ाने के चलते पास कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई बार विपक्ष बिलों पर सवाल भी खड़े कर देता है जिसमें से कई सवाल जायज भी होते हैं। आपको बता दें कि 4 सांसदों के रिटायर हो गए हैं। जिसके चलते अब बीजेपी के सांसदों की संख्या 86 ही बची है। ऐसे में ये सवाल उठता है कि बीजेपी किस रणनीति का इस्तेमाल करेगी क्योंकि कुछ दिनों में ही बजट पेश होने जा रहा है। ऐसे में एक और सवाल उठता है कि क्या बीजेपी के सांसदों की संख्या कम होने के चलते बिल अटकेंगे।
एनडीए की भी संख्या घटी
नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस की संख्या राज्यसभा में घटकर 101 रह गई है। बीते शनिवार को 4 सांसद रिटायर हो गए हैं। इसके साथ ही कांग्रेस राज्यसभा में बीजेपी को घेरने के लिए रणनीति तैयार कर रही है। राजनीति के जानकारों की मानें तो कांग्रेस ऊपरी सदन में नेता प्रतिपक्ष का पद अपने हिस्से में इसलिए ही करना चाहती है। ऐसा इसलिए ताकि वह एनडीए को घेर सके। बीजेपी भी इस बात को समझ रही है जिसके चलते बीजेपी भी एक अलग रणनीति पर काम कर रही है।
राज्यसभा के हाल
सोनल मानसिंह, राकेश सिन्हा, राम कमल और महेश जेठमलानी 13 जुलाई को संसद के ऊपरी सदन से रिटायर हो चुके हैं। बीजेपी के लिए ये इसलिए जरूरी है क्योंकि ये सभी सांसद बीजेपी के पक्ष में थे। अब राज्यसभा में 226 सांसद हैं। इसके अलावा 19 सांसदों के पद खाली हैं। ऐसे में एनडीए के सामने बिलों को पास करवाने में परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा बीजेपी के समर्थन में 7 गुटनिरपेक्ष मनोनीत सांसद, 2 निर्दलीय और एआईएडीएमके और वाइएसआरसीपी जैसे दल हैं।
बीजेपी किस रणनीति का इस्तेमाल करेगी?
इस महीने बजट पेश होने जा रहा है। एनडीए इस समय कुछ अहम बिल पास कराने का इरादा रखती है। एनडीए के समर्थन में अभी संख्या बल नजर आ रहा है। लेकिन लंबे समय तक ऐसी स्थिति चल पाना मुश्किल है। ऐसे में बीजेपी की रणनीति है कि लोगों पर निर्भरता कम करनी है। ऐसा करने से बीजेपी के सहयोगी पर भी निर्भरता कम हो जाएगी। ऐसे में विपक्ष भी शांति से बैठेगा।
राज्यसभा में सीटों का गणित
नियम के अनुसार राष्ट्रपति राज्यसभा में 12 सदस्यों को नामित करते हैं। अभी की राज्यसभा में 7 सांसद ऐसे हैं जो अभी तक गुटनिरपेक्ष नजर आ रहे हैं। आपको बता दें कि राज्यसभा में 19 पद खाली हैं। जिसमें से 4 नामित सदस्य हैं, 4 जम्मू-कश्मीर, 2-2 असम, बिहार और महाराष्ट्र में। वहीं 1-1 हरियाणा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में हैं। अगर 19 सीटें भर जाती हैं तो इसमें से 8 सीटें एनडीए के पास ही जाएंगी जिसके साथ राज्यसभा में एनडीए के पास 109 सीटें हो जाएंगी। वहीं अगर विपक्ष की बात करें तो इंडिया के पास 3 राज्यसभा सीट बढ़ने की उम्मीद नजर आ रही है।
इसके अलावा संसद में उच्च सदन राज्यसभा में ज्यादा से ज्यादा 250 सदस्य हो सकते हैं। जिसमें से 238 सदस्य राज्यों के साथ-साथ संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधि हो सकते हैं। इसके अलावा 12 सदस्यों को देश के राष्ट्रपति की तरफ से नामित किया जाता है। राज्य सभा एक स्थायी निकाय है जिसको कभी भंग नहीं किया जा सकता है। राज्य सभा के एक तिहाई सदस्य हर दूसरे साल के बाद रिटायर होते हैं। जिनके स्थान पर नए सदस्य आते हैं। हर सदस्य का चुनाव 6 वर्ष की अवधि के लिए किया जाता है।