पाक का खुला पोल: आतंकवाद पर फिर बेनकाब हुआ पाकिस्तान, पुंछ-राजौरी आतंकी हमले में था हाथ, NIA की जांच में मिला अहम सुराग

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Bhaskar Hindi
Update: 2023-11-27 05:34 GMT

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान हमेशा से बेनकाब होता रहा है। इसी कड़ी में नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) की जांच सामने आई है। जांच में पाया गया है कि इस साल जम्मू-कश्मीर में हुए दो आतंकी हमलों में पाकिस्तान का हाथ रहा है। एनआईए की जांच में पता लगा है कि इस साल के जनवरी में राजौरी के एक गांव में और अप्रैल में पूंछ जिले में सेना के वाहन पर हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों का एक ही ग्रुप रहा। इन आतंकियों ने पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर्स के इशारे पर इन दोनों हमलों को अंजाम दिया था।

बता दें कि, इस साल के जनवरी महीने में आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले के ढांगरी गांव में हुआ था। जिसमें सात लोगों की मौत हुई थी और कई लोग बुरी तरह से घायल हुए थे। आतंकियों ने इस हमले को अंजाम आईईडी के जरिए दिया था। जिसे एक गांव के घर में प्लांट किया गया था।

आईईडी से हमला

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जांच एजेंसी की शुरुआती जांच में पता चला कि राजौरी में आईईडी लगाने का काम दो आतंकियों ने किया था, जिनका उद्देश्य था कि जब सेना के वरिष्ठ अधिकारी गांव के इस घर में आएं तभी धमाका हो, लेकिन आंतकियों के मनसूबे पूरे नहीं हो पाए और पहले ही आईईडी विस्फोट हो गया। इस मामले में राजौरी पुलिस स्टेशन में केस दर्ज हुआ, लेकिन फिर एनआईए ने इसे अपने हाथ में ले लिया था। जांच में ये भी बात सामने आई है कि इस हमले के लिए दो लोगों ने लॉजिस्टिक मदद दी थी, जो धमाके के बाद अंडरग्राउंड हो गए।

जांच में क्या पता चला?

एनआईए सूत्रों के मुताबिक, इस धमाके से जुड़े दो आतंकियों को सितंबर में गिरफ्तार किया गया था। जिनका नाम निसार अहमद और मुश्ताक हुसैन बताया जा रहा है। दोनों ही पूंछ जिले के रहने वाले हैं। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने धमाके में शामिल आंतकियों की मदद की थी और सेना के जवानों से बचाने के लिए पनाह दिया था। जांच एजेंसी ने दोनों आरोपियों से पूछताछ की तो पता चला है कि निसार लश्कर-ए-तैयबा के एक हैंडलर अबू कताल उर्फ ​​कतल सिंधी के लगातार संपर्क में था। एजेंसी ने ओवरग्राउंड निसार को पहले गिरफ्तार किया था। ये पहले भी सुरक्षा अधिनियम के तहत दो साल जेल में बिता चुका है।

छिपने के लिए गुफा का सहारा

एजेंसी की जांच में ये भी पाया गया है कि निसार पिछले दो-तीन सालों से मुखबिर के रूप में काम कर रहा था। जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने ढांगरी आतंकी हमले में पूछताछ के लिए उसे बुलाया भी था। नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी की पूछताछ में निसार ने बताया है कि कतल सिंधी ने हमले को अंजाम देने वाले दोनों आतंकियों को पनाह देने को कहा था। जांच में पाया गया है कि निसार ने मुश्ताक हुसैन को 75 हजार रुपये दिए थे, ताकि गुफा में एक छिपने के लिए योग्य जगह बन सके। निसार आतंकियों को खाना पहुंचाता था।

आतंकी हमले पर क्या बोला अधिकारी?

इस पूरे मामले पर एक अधिकारी ने बताया कि, हमले से दो दिन पहले दोनों आतंकी गुफा से गायब हो गए। जिसके बाद उन्होंने सेना की गाड़ी को अपना टारगेट बनाया जिसमें पांच जवान शहीद हो गए और एक सैनिक बुरी तरह घायल हो गया। बता दें कि, ये आतंकी हमला पूंछ जिले के भिम्बर गली-सूरनकोट रोड पर भट्टा डूरियन के पास हुआ था।

अधिकारी ने आगे बताया कि, दोनों हमलों को देखने के बाद और गहन जांच करने के बाद एनआईए ने पाया कि दोनों हमले में एक ही हमलावर शामिल हैं। अधिकारी के मुताबिक, इस हमले को पाकिस्तान में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं सैफुल्ला उर्फ ​​साजिद जट, अबू कताल उर्फ ​​कतल सिंधी और मोहम्मद कासिम के निर्देश पर अंजाम दिया गया था।

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