कोरोना महामारी का हो सकता है 2022 में अंत : WHO चीफ
दावा कोरोना महामारी का हो सकता है 2022 में अंत : WHO चीफ
- इसके लिए विकसित देशों को अपने वैक्सीन दूसरे देशों के साथ साझा करने होंगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में एक बार फिर से कोरोना मामलों में उछाल आने के बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख डॉ. टेड्रस अधनोम ने कहा है कि साल 2022 कोरोना महामारी (corona pandemic) का आखिरी साल हो सकता है, लेकिन इसके लिए विकसित देशों को अपने वैक्सीन दूसरे देशों के साथ साझा करने होंगे।
आपको बता दे कोरोना वायरस अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है। पूरा विश्व पिछले दो सालों में इससे प्रभावित हुआ है। इस वायरस ने मानव हानि के साथ-साथ देशों की आर्थिक रूप से भी कमर तोड़ी है। 2019 में इसके आने के बाद से अभी तक पूरी दुनिया में इससे 28.9 करोड़ इससे संक्रमित हो चुके है जबकि 54.4 लाख ने अपनी जान गवाई।
लेकिन इधर, WHO के निदेशक को पूरा यकीन है कि साल 2022 में कोरोना महामारी का अंत हो जाएगा। लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या है, कोरोना वैक्सीन की जमाखोरी और राष्ट्रवाद। डॉ. टेड्रस ने कहा कि वैक्सीन की असमानता ही कारण जो ओमिक्रॉन इतनी जल्दी दुनियाभर के देशों में फैल गया। उन्होंने बताया कि वैक्सीन की असमानता जितनी ज्यादा रहती है, वायरस के विकसित होने का जोखिम भी उतना ज्यादा होता है। हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि ताजा आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के कई हिस्से पिछड़ रहे हैं। बुरुंडी, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कोन्गो, चाड और हैटी जैसे देशों में पूरी तरह से वैक्सीनेट लोगों की आबादी एक प्रतिशत से भी कम है। जबकि हाई इनकम वाले देशों में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है। डॉ. टेड्रस ने कहा कि इस असमानता से निपटने के बाद ही हम एक सामान्य जीवन में वापस लौटने की कल्पना कर सकते हैं।
अपने बयान में डॉ. टेड्रस ने कहा, "अगर हम असमानता को खत्म करते हैं तो महामारी का अंत हो जाएगा। ग्लोबल वैक्सीन फैसिलिटी COVAX, WHO और हमारे सहयोगी दुनियाभर में उन लोगों के लिए वैक्सीन, टेस्ट और इलाज को सुलभ बनाने का काम कर रहे हैं, जिसकी उन्हें जरूरत है। वैक्सीन के दम पर अब तक लाखों जानें बचाई गई हैं। चिकित्सकों के पास अब कोविड-19 से बचाव और इलाज के लिए नई दवाएं और मेडिकल टूल्स भी उपलब्ध हैं।"
ओमिक्रॉन वैरिएंट के तेजी से फैलने को लेकर डॉ. टेड्रस ने कहा, "ताजा आंकड़े बताते हैं कि अस्पतालों में दाखिल कोविड-19 के 80 फीसद से ज्यादा मामले वो हैं जिन्हें बूस्टर डोज नहीं दिया गया है।"