सुप्रीम कोर्ट का फैसला: समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, सीजेआई ने कहा- विस्तार से सुनवाई की जरूरत नहीं

  • सुप्रीम कोर्ट ने किया बड़ा ऐलान
  • संविधान से नहीं हटाया जाएगा 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द
  • शब्द बदलने वाली याचिका खारिज

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-25 09:34 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार यानी 25 नवंबर 2024 को बड़ी और ऐतिहासिक घोषणा की है। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना में 1976 में पारित 42वें संशोधन के मुताबिक, "समाजवादी" और "धर्मनिरपेक्ष" शब्दों को हटाने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है। याचिका को खारिज करते हुए सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि 'इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई करने की आवश्यकता नहीं है।' सीजेआई ने आगे कहा कि, "समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द साल 1976 में संविधान संशोधन की मदद से जोड़े थे, जिससे 1949 में अपनाए गए संविधान पर कोई भी फर्क नहीं पड़ता है।"

इंदिरा गांधी सरकार में जुड़े थे शब्द

बता दें, साल 1976 में इंदिरा गांधी कि सरकार में 42वें संवैधानिक संशोधन करके संविधान की प्रस्तावना में "समाजवादी", "धर्मनिरपेक्ष" और "अखंडता" शब्द जोड़े गए थे। जिसके बाद भारत का स्वरूप "संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य" से बदलकर "संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य" हो गया था। जिसके खिलाफ याचिका दायर की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने बचाया संशोधन

इस मामले पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा है कि, भारतीय संदर्भ हम समझते हैं कि भारत में समाजवाद अन्य देशों से काफी अलग है। लेकिन हम समाजवाद का मतलब एक कल्याणकारी राज्य के रूप में समझते हैं। उन्होंने आगे कहा कि, शीर्ष अदालत ने साल 1994 के एसआर बोम्मई मामले में "धर्मनिरपेक्षता" को संविधान की खास संरचना का हिस्सा माना गया था। 

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