पुलवामा हमले में इस्तेमाल किए गए वर्चुअल सिम कार्ड, अमेरिका की मदद लेगा भारत

पुलवामा हमले में इस्तेमाल किए गए वर्चुअल सिम कार्ड, अमेरिका की मदद लेगा भारत

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-24 15:54 GMT
पुलवामा हमले में इस्तेमाल किए गए वर्चुअल सिम कार्ड, अमेरिका की मदद लेगा भारत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पुलवामा हमले में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सुसाइड बॉम्बर ने जिस वर्चुअल सिम कार्ड का उपयोग किया था उसकी जानकारी के लिए भारत अमेरिका की मदद लेगा। सुसाइड बॉम्बर ने इस सिम कार्ड की मदद से पाकिस्तान और कश्मीर में उसके हैंडलर्स से बात की थी। बता दें कि 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।

अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की घटना स्थल और त्राल एनकाउंटर साइट की जांच में सामने आया है कि सुसाइड बॉम्बर आदिल डार लगातार सीमा पार जैश-ए-मोहम्मद के संपर्क में था। पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड मुदस्सिर खान त्राल में हुई मुठभेड़ में मारा गया था। इस हमले को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने नए तरीके का इस्तेमाल किया था जिसमें सीमा पार मौजूद आतंकी अमेरिका के सर्विस प्रोवाइडर के वर्चुअल सिम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे थे।

इस तकनीक में कंप्यूटर एक टेलीफोन नंबर जनरेट करता है और यूजर को अपने स्मार्टफोन पर सर्विस प्रोवाइडर का एप्लिकेशन डाउनलोड करना होता है। नंबर व्हाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम या ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स से जुड़ा रहता है। इन नेटवर्किंग साइटों से जनरेट किया गया वैरिफिकेशन कोड स्मार्टफोन पर आता है और यह उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।

अधिकारियों ने कहा कि पुलवामा के मामले में डार जैश हैंडलर और मुदस्सिर खान के साथ लगातार संपर्क में था। उन्होंने कहा कि उपयोग किए गए नंबर "+1" के साथ प्री-फिक्सड थे। "+1" अमेरिका के लिए उपयोग किए जाने वाला मोबाइल स्टेशन इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डायरेक्ट्री नंबर (MSISDN) है।  भारत वर्चुअल सिम के साथ संपर्क करने वाले फोन नंबरों की डिटेल और जिन्होंने इस सिम को एक्टिवेट किया था उसकी जानकारी अमेरिका से मांगेगा। इसके अलावा इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस भी मांगे जाएंगे।

जबकि सुरक्षा एजेंसियां ​​यह पता लगाने का प्रयास करेंगी कि किसने वर्चुअल सिम के लिए भुगतान किया था, वे यह भी जानते है कि आतंकवादी समूह जाली पहचान का उपयोग करते हैं, जैसा कि मुंबई 26/11 के आतंकवादी हमलों के दौरान किया गया था। 26/11 के हमलों की जांच के दौरान पाया गया था कि USD 229 की राशि कॉलफोनेक्स को वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर रसीद नंबर 8364307716-0 के माध्यम से वायर्ड की गई थी। इसके माध्यम से वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआईपी) को सक्रिय किया गया था।

इस पैसे को इटली के ब्रेशिया में स्थित "मदीना ट्रेडिंग" ने रिसीव किया था। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के निवासी जावेद इकबाल ने इसे भेजा था। हालांकि, 2009 में इटली पुलिस के दो पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार करने के बाद यह आरोप लगाया था कि इस फर्म ने इकबाल के नाम पर लगभग 300 ट्रांसफर किए हैं, जो कभी इटली नहीं आया। इसके बाद इटली पुलिस ने जांच को खत्म करते हुए कहा था कि ब्रेशिया-आधारित कंपनी ने निर्दोष लोगों के पहचान पत्र का इस्तेमाल कर ये ट्रांसफर किए। 

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