जिस पर्वत से हनुमानजी ने ली थी संजीवनी बूटी, अब पर्यटक कर सकेंगे उस पर्वत की सैर, फूलों की घाटी खोलने पर सरकार ने लिया अहम फैसला

संजीवनी बूटी के कीजिए दर्शन जिस पर्वत से हनुमानजी ने ली थी संजीवनी बूटी, अब पर्यटक कर सकेंगे उस पर्वत की सैर, फूलों की घाटी खोलने पर सरकार ने लिया अहम फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2022-06-01 14:47 GMT
जिस पर्वत से हनुमानजी ने ली थी संजीवनी बूटी, अब पर्यटक कर सकेंगे उस पर्वत की सैर, फूलों की घाटी खोलने पर सरकार ने लिया अहम फैसला
हाईलाइट
  • 87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली इस घाटी में फूलों की 500 से ज्यादा दुर्लभ प्रजातियां मौजूद

डिजिटल डेस्क, देहरादून। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण ‘फूलों की घाटी’ पर्यटकों के लिए खोल दी गई है। उत्तराखंड के चमोली में स्थित इस घाटी को यूनेस्को ने विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया है। चारों तरफ से हिमालय से घिरी इस खूबसूरत घाटी को भारत सरकार ने 1982 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया था। गौरतलब है कि, यह घाटी हर वर्ष 1 जून से 31 अक्टूबर के बीच पर्यटकों के लिए खोली जाती है। 

जैव विविधता का खजाना

समुद्र तल से लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस घाटी में फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमें जेरेनियम, प्राइमुलस, ब्लूबेल और एनीमोन जैसी कई दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं। यहां उत्तराखंड का राजकीय फूल ब्रम्हकमल सबसे अधिक देखा जाता है। 87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली इस घाटी में फूलों के अलावा दुर्लभ प्रजाति के पशु-पक्षी और जड़ी-बूटीयां भी पाई जाती हैं। यहां मौजूद पुष्पावती नदी, झरने, ग्लेशियर और बर्फ से ढंकी हिमालय की चोटियां इस जगह की खूबसूरती में चार चांद लगा देती हैं। 

रामायण में है इसका जिक्र

फूलों की घाटी में अल्पाइन फूलों के पौधे पाए जाते हैं। अल्पाइन फूल पौधे वह होते हैं जो किसी खास जगहों और ऊंचाई वाले स्थानों पर उगते हैं। इनका उल्लेख रामायण में मिलता है। कहा जाता है कि जब मेघनाथ के साथ युद्ध लड़ते हुए लक्ष्मण मूर्छित हुए थे तब उनकी जान बचाने के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी यहीं से ले गए थे। 

देखने पहुंचते हैं हजारों-लाखों पर्यटक

इस खूबसूरत घाटी को देखने हर वर्ष हजारों-लाखों देसी व विदेशी पर्यटक आते हैं। घाटी की यात्रा ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे पर गोविंदघाट से शुरु होती है। पर्यटकों को 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर घाटी के बेस कैंप तक पहुंचना पड़ता है। इस घाटी में प्रवेश के लिए इसी बेस कैंप से परमिट मिलता है। फूलों की घाटी में घूमने का सही समय मध्य जुलाई से मध्य तक होता है।
 
बता दें कि, फूलों की घाटी की खोज ब्रिटिश पर्वतारोही व वनस्पति शास्त्री फ्रैंकस्मित ने की थी। उन्होंने 1937 में वैली ऑफ फ्लावर नाम की किताब लिखकर दुनिया को इस घाटी के बारे में बताया था।  

     
 

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