राजनीतिक पार्टियों में हलचल तेज, क्या साथ आएंगे अखिलेश-शिवपाल?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव राजनीतिक पार्टियों में हलचल तेज, क्या साथ आएंगे अखिलेश-शिवपाल?
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही हैं वैसे ही सियासी पार्टियों ने भी अपनी जोरो शोरों से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
रथयात्राओं का दौर शुरू हो चुका है। ढाई साल पहले भतीजे अखिलेश से विवाद के चलते समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होकर अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव भी इन दिनों सामाजिक परिवर्तन यात्रा निकाल रहे हैं।
प्रसपा की सामाजिक परिवर्तन यात्रा का पहला चरण खत्म हो चुका है और उनका रथ अगले चरण की यात्रा पर निकलने की तैयारियों में जुटा है। इस बीच शिवपाल सिंह यादव की इच्छा है कि उनका गठबंधन भतीजे अखिलेश यादव की सपा के साथ हो जाए।
प्रसपा का अबतक का सफर
प्रसपा का गठन हुए आज ढाई साल से ज्यादा हो चुका है। पिछले ढाई सालों में प्रसपा के कार्यकर्ताओं ने पूरे प्रदेश का दौरा किया है। इसके अलावा पार्टी द्वारा कई कार्यक्रम भी चलाए गए हैं, जिनमें गांव-गांव पांव-पांव कार्यक्रम भी रहा। इस कार्यक्रम के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं ने संभवत: हर गांव का दौरा किया और लोगों से मिलकर उनकी समस्या, परेशानी और अपेक्षाओं को जानने की कोशिश की।
अब चुनाव में महज 3 महीने बाकी रह गए हैं, ऐसे में पार्टी की गतिविधियों में भी तेजी देखने को मिल रही है जहां पार्टी के सदस्य लोगों से मिल रहे हैं और अपनी बात उन तक पहुंचा रहे हैं।
इन मुद्दों को लेकर लोगों के बीच जा रही प्रसपा
प्रसपा का मानना है कि भाजपा शासन के दौरान महिलाओं और किसानों का उत्पीड़न बढ़ा है। पार्टी का आरोप है कि सरकार के मुखिया महिलाओं और किसानों के उत्पीड़न के मसले पर कुछ बोलते भी नहीं हैं। अपने एक इंटरव्यू में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आदित्य यादव ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि एनसीआरबी के आंकड़े गवाह हैं कि कैसे प्रदेश में क्राइम ग्राफ बढ़ा है, कानून-व्यवस्था के मसले पर प्रदेश सरकार पूरी तरह से विफल रही है। आदित्य ने कहा कि अखिलेश यादव-शिवपाल यादव के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में महिलाओं और किसानों को सम्मान मिला था।
लखीमपुर कांड पर सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि, " केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी छोड़िए वह बिल्कुल बेबाक तरीके से कार्यक्रमों में जा रहे हैं, वह गाड़ी उनके नाम पर ही थी, सारे तथ्य उनके और उनके बेटे की तरफ इशारा करते हैं, उसके बावजूद प्रशासन और पुलिस इतनी बेबस और लाचार क्यों है, अगर ऐसा है तो कहीं न कहीं सरकार का हाथ है, सरकार ने ढील देने के लिए कहा है, इसी वजह से ढील दी जा रही है।
चुनाव के लिए कैसी है तैयारी?
उत्तर प्रदेश में देखा जाए तो एक मजबूत विपक्ष की कमी साफ महसूस की जा सकती है। विपक्ष भी एक प्लेटफॉर्म पर आने में अब तक विफल साबित हुआ है, खासतौर पर प्रसपा और सपा, ऐसे में पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल है कि कैसे आगामी चुनाव में बीजेपी से टक्कर ली जाए?
चाचा शिवपाल ने तो अखिलेश के साथ गठबंधन की इच्छा जाहिर कर दी है पर भतीजे की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। शिवपाल यादव चाहते हैं कि विपक्ष का मजबूत फ्रंट बने।
22 नवंबर को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव जी का जन्मदिन भी है तो ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस दिन चाचा-भतीजा एक साथ आ सकते हैं। लेकिन 22 नवंबर अभी बहुत दूर है, ऐसे में दोनों पार्टियों को इस बात पर पहले ही चर्चा कर लेनी चाहिए क्योंकि शिवपाल यादव जी का मानना है कि यूपी की जनता चाहती है कि चाचा-भतीजा फिर से एक हो जाएं। ऐसी संभावना है कि अगर 22 नवंबर से पहले ही शिवपालजी और अखिलेशजी गठबंधन कर लेते हैं तो इसका परिणाम बहुत अच्छा मिल सकता हैं, लोगों तक ये बात पहुंचाना भी जरुरी हैं क्योंकि दिसंबर में आचारसंहिता लग जाएगी तो उसके बाद चीजें आसान नहीं रहेंगी।