धर्म संसद से निकले नफरत भाषणों वाली याचिका की आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

हेट स्पीच धर्म संसद से निकले नफरत भाषणों वाली याचिका की आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2022-01-12 03:20 GMT
धर्म संसद से निकले नफरत भाषणों वाली याचिका की आज सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई
हाईलाइट
  • एक विशेष समुदाय के खिलाफ बोले गए बोल
  • तीन सदस्यीय पीठ करेगी सुनवाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्म संसद  से निकली हेट स्पीच मामले की सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। शीर्ष कोर्ट ने एफआईआर के बाद  आरोपियों की गिरफ्तारी न होने को संज्ञान में लिया है , इसी पर सुनवाई होगी।

 याचिका में नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।याचिका पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश व वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश ने दायर की है।  हिंसा भड़काने वाले उत्तराखंड के हरिद्वार "धर्म संसद" के भाषणों की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर शीर्ष अदालत में आज बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी। 

इससे पहले  वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस के सामने हेट स्पीच मामले की सुनवाई करने की दलील दी गई, कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कहा अब सत्यमेव जयते की जगह  शस्त्रमेव जयते के भड़काऊ भाषण दिए जा रहे है। एफआईआर के बाद कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। जिसके बाद चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना ने मामले पर सुनवाई का आश्वासन दिया।  जिसके बाद सीजीआई ने मामलों को संज्ञान लिया था, जिस पर  सुनवाई होनी है। 

हरिद्वार में आयोजित हुई धर्म संसद में  दिए गए भड़काऊ भाषण का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देश में बवाल मच गया। विवादित भाषणों में धर्म की रक्षा के लिए हिंदुओं को हथियार उठाने का आह्वान किया गया। वहीं देश में मुस्लिम प्रधानमंत्री न बने इसकी बात कही गई।  वायरल वीडियो में एक संत को मुस्लिम आबादी बढ़ने पर रोक लगाने के अमर्यादित भाषण दिए गए। इसके एक दिन बाद  पूर्व सेनाध्यक्षों और वरिष्ठ अधिकारियों ने सुरक्षा और कार्रवाई की मांग करने के लिए ओपन पत्र लिखा।  

याचिका में कहा गया है कि  हरिद्वार में यति नरसिम्हानंद के द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में और दिल्ली में हिंदू युवा वाहिनी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में एक विशेष समुदाय के नरसंहार का आह्वान किया गया था।  याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस द्वारा कोई प्रभावी और उचित कार्रवाई नहीं की गई।  

 

 

 


 

 

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