बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा- बच्चे को गलत नीयत से छूने का मतलब है "यौन शोषण"
यौन शोषण पर बदलाव बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, कहा- बच्चे को गलत नीयत से छूने का मतलब है "यौन शोषण"
- कपड़े के ऊपर से बच्चे को गलत नीयत से छूना यौन शोषण होगा- सुप्रीम कोर्ट
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए पॉक्सो (POCSO) एक्ट बनाया गया है। लेकिन, एक 12 साल की बच्ची के साथ हुई छेड़खानी के मामले में बॉम्बे हाईकार्ट ने अपने फैसले में कहा था कि, पहने हुए कपड़ों या किसी अन्य कपड़े के ऊपर से बच्चे को छूना यौन शोषण के अंतर्गत नहीं आएगा। अब बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस यूयू ललित, एस रविंद्र भट और बेला त्रिवेदी की बेंच ने कहा कि, ऐसे फैसलों से बच्चों को यौन उत्पीड़न नहीं बचाया जा सकता है। क्योंकि, जिस उद्देश्य से पॉक्सो कानून बनाया गया है,वो उद्देश्य पूरी तरह खत्म हो जाएगा, जिसे हमने बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए लागू किया था।
क्या था पूरा मामला
दरअसल, नागपुर में रहने वाली एक 16 साल की लड़की ने केस दायर किया था। लेकिन, जब उसके साथ ये घटना हुई तो वो मात्र 12 साल की थी और उसके साथ छेड़खानी करने वाला आरोपी 39 साल का था। पीड़िता के अनुसार, 2016 में सतीश नाम के आरोपी ने उसे खाने का लालच देकर अपने घर ले गया था और कपड़े के ऊपर से उसका ब्रेस्ट छूने की कोशिश करने लगा और कपड़े भी उतारना चाहता था। हालांकि, सेशन कोर्ट ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत तीन साल और IPC की धारा 354 के तहत एक साल की सजा सुनाई थी और जस्टिस पुष्पा गनेडीवाला ने पॉक्सो एक्ट का हवाला देते हुए कहा था कि, अगर स्किन से स्किन का कॉन्टैक्ट नहीं हुआ है तो, ये यौन शोषण नहीं है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, कपड़ों के ऊपर और बगैर कपड़े के गलत नीयत से बच्चों को गलत नीयत से छूना भी पॉक्सो एक्ट की धारा 7 के अंतर्गत आता है और ये यौन शोषण ही है। कोर्ट को यौन शोषण की ऐसी व्याख्या नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इससे कानून बनाने का उद्देश्य खत्म हो जाएगा और हम इसकी इजाजत नहीं दे सकते है।