जम्मू-कश्मीर में कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक
रोजगार जम्मू-कश्मीर में कामकाजी महिलाओं का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से अधिक
- योजना के तहत महिलाओं की मदद
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में महिलाएं अब रोजगार के मामले में पुरुषों से पीछे नहीं हैं, महिलाएं भी रोजगार के उपलब्ध अवसरों का लाभ उठा रही हैं।
सरकार की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट (एलएफपीआर) रिपोर्ट बताती है कि 2018-19 में जम्मू-कश्मीर में कामकाजी महिलाओं की दर 26.5 फीसदी थी, जो अब 2021 में बढ़कर 32.8 फीसदी हो गई है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह दर 25.1 फीसदी है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के गांवों में महिलाओं का एलएफपीआर शहरों के मुकाबले ज्यादा है। गांवों में कम से कम 35.3 प्रतिशत और शहरों में 22.3 प्रतिशत महिलाएं मजदूर के रूप में काम करती हैं। 15 से 59 साल के बीच कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़कर 46.8 फीसदी हो गई है, जो 2018-19 में 36.3 फीसदी थी।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि अधिक से अधिक महिलाएं अपने परिवार का समर्थन करने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए व्यवसाय में शामिल हो रही हैं। इसका एक कारण यह भी है कि सरकार ने भी महिलाओं को रोजगारपरक बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। पिछले साल महिलाओं ने 3,933 सूक्ष्म लघु मध्यम उद्यम इकाइयां स्थापित कीं।
सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं में होसला है, जो जम्मू-कश्मीर में महिलाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने वाला एक व्यापक कार्यक्रम है, जिसके तहत 50,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है। जम्मू-कश्मीर सरकार भी तेजस्वनी योजना के तहत महिलाओं की मदद कर रही है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जून 2021 में कार्यक्रम की शुरूआत की। इस स्टार्ट-अप फंडिंग प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में युवा महिलाओं और लड़कियों को स्वतंत्र कंपनी मालिकों के रूप में सशक्त बनाना और स्थापित करना है। कार्यक्रम महिला व्यापार मालिकों को मुद्रा कार्यक्रम के तहत जम्मू-कश्मीर बैंक से 5 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्राप्त करने की अनुमति देता है।
आईएएनएस
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