पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के धर्मनिरपेक्ष विचारों से संघ में सुधार होगा : शिंदे
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के धर्मनिरपेक्ष विचारों से संघ में सुधार होगा : शिंदे
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के आमंत्रण को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के स्वीकारने को लेकर उठ रहा सवालों को कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अनुचित ठहराया है। शिंदे ने कहा है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संघ के मंच पर जाकर अपने विचार रखना चाहिए। मुखर्जी के विचार धर्मनिरपेक्ष है। उनके विचारों से संघ में सुधार होगा। राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक स्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि देश में फिलहाल सबकुछ ठीक नहीं लगता है।
हिटलरशाही आने का भय लगने लगता है। देश की तस्वीर भय से भरी लगती है। लेकिन देश की जनता हुकुमशाही स्वीकारने की स्थिति में नहीं है। परिवर्तन के आंदोलन के विरोध में जो होगा उनका हम विरोध करेंगे। रविवार को डॉ. यशवंत मनोहर पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में शिंदे बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. यशवंत मनोहर अमृत महोत्सव समिति, डॉ. यशवंत मनोहर पुरस्कार समिति, यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान विभागीय केंद्र ने किया था।
किसानों की उपेक्षा कर रही है सरकार
शिंदे ने कहा कि किसान त्रस्त हैं। सरकार की ओर से किसानों की उपेक्षा की जा रही है। भाजपा के मंत्रियों को किसानों के दुख से कोई सरोकार नहीं है। इन मंत्रियों ने खेती नहीं की है। 4 वर्षों में किसानों को दिये गए आश्वासनों की पूर्ति नहीं हो पाई है। संतप्त किसान सड़क पर दूध फेंक रहे हैं। सरकार को कुछ भी नहीं दिख रहा है। कृषि उपज को डेढ़ गुणा भाव देने के आश्वासन को भूला दिया गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष प्रशिक्षिण के समापन कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत के साथ मंच साझा करनेवाले है। लोगों की उत्सुकता यह जानने की है कि मुखर्जी क्या बोलेंगे। कुछ लोगों ने यह भी कहा है कि विचार भिन्नता को देखते हुए मुखर्जी ने संघ के कार्यक्रम में नहीं जाना था।
शिंदे ने कहा कि मुखर्जी धर्मनिरपेक्ष है। अब तब उन्होंने धर्मनिरपेक्ष भूमिका रखी है। संघ के मंच पर उन्होंने बोलना चाहिए। मुखर्जी के विचारों के अनुरुप संघ में सुधार होगा तो समाधान महसूस होगा। शिंदे ने यह भी कहा कि कश्मीर अशांत है। सरकार इस समस्या को दूर नहीं कर पा रही है। घुसखोरी बढ़ रही है। सैनिक मारे जा रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व की सरकार के समय संसद में कश्मीर के मामले पर चर्चा होती थी। कहा जाता था कि एक भी भारतीय सैनिक मारा गया तो हम जवाब देंगे। अब वह बात करनेवाले कहीं नजर नहीं आ रहे हैं।