संविधान के साथ साथ व्यक्तिगत स्वतंत्र अधिकारों की रक्षा करना सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता, कानून मंत्री के बयान के बाद बोले सीजेआई
नई दिल्ली संविधान के साथ साथ व्यक्तिगत स्वतंत्र अधिकारों की रक्षा करना सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता, कानून मंत्री के बयान के बाद बोले सीजेआई
- व्यक्तिगत आजादी सर्वोपरि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। न्यायपालिका पर देरी से मिलने वाले न्याय को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने चिंता जाहिर करते हुए टॉप कोर्ट को सलाह दी, मंत्री ने देश की सबसे बड़ी अदालत को सलाह देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट बेल मामलों पर नहीं बल्कि संवैधानिक मामले सुने। केंद्रीय कानून मंत्री की इस टिप्पणी पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सख्त टिप्पणी की।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई भी केस छोटा नहीं होता है। मुख्य न्यायाधीश ने ये टिप्पणी बिजली चोरी के मामले में की, आपको बता दें बिजली चोरी के इस मामले में व्यक्ति सात साल से जेल में सजा काट रहा है। सीजेआई ने कहा अगर हम नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकते तो फिर हम क्या करने के लिए बैठे हैं?
मुख्य न्यायाधीश की इस टिप्पणी को कल सुको पर केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू द्वारा की गई टिप्पणी से जोड़कर देखा जा रहा है। सीजेआई ने साफ साफ शब्दों में कहा कि सुप्रीम कोर्ट लोगों के मौलिक अधिकारों का संरक्षक है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक अहम मौलिक अधिकार है।
आपको बता दें एक बिजली चोरी के मामले में जेल काट रहे व्यक्ति की जमानत पर जब सुको सुनवाई कर रहा था, शीर्ष कोर्ट उस समय हैरान हो गया,जब सुनवाई कर रही बैंच को पता चला कि बिजली चोरी के मामले में व्यक्ति सात साल से सजा काट रहा है। और उसे 9 अलग बिजली चोरी मामले में दो-दो साल की मिली सजा को एक साथ काटने की बजाय अलग अलग काटने को निचली अदालत और उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है। इस लिहाज से उसे 18 साल तक जेल में रहना पडेगा। जबकि आरोपी ने निचली अदालत में प्ली बार्गेनिंग की प्रक्रिया (कम सज़ा के लिए खुद अपना गुनाह कबूल किया ) का सहारा लिया।
इस पूरे मामले पर चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा ने हैरानी जताई। पीठ ने आगे कहा निचली अदालत और हाई कोर्ट ने एक छोटे अपराध को हत्या के जैसा अपराध बना दिया। पीठ ने जब कोर्ट में मौजूद वरिष्ठ वकील नागामुथु से उनकी राय पूछी, तब वरिष्ठ वकील ने कहा इस तरह तो यह उम्रकैद का मामला हो गया है।
इस पर सीजेआई ने कहा देश की सर्वोच्च अदालत को ऐसे मामले सुनना जरूरी है। चीफ जस्टिस ने कहा जज आधी रात तक जग कर केस की फाइल पढ़ते है, क्योंकि कई बार साधारण सा लगने वाला मामला नागरिक अधिकार के लिहाज से बहुत अहम हो जाता है। अगर टॉप कोर्ट इस तरह के मामलों में दखल न दें तो सर्वोच्च अदालत की क्या उपयोगिता है। हमारे लिए साधारण से साधारण मामला भी बहुत अहम होता है।