पोस्टर विवाद: SC ने योगी सरकार से पूछा- किस कानून के तहत लगाए गए पोस्टर
पोस्टर विवाद: SC ने योगी सरकार से पूछा- किस कानून के तहत लगाए गए पोस्टर
- इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है
- हाईकोर्ट ने हिंसा के आरोपियों का पोस्टर हटाने का आदेश दिया था
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। पोस्टर विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से भी फटकार मिली है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान योगी सरकार से सवाल किया कि किस कानून के तहत हिंसा के आरोपियों के पोस्टर लगाए गए। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि ऐसे पोस्टर लगाने का देश में कोई कानून नहीं है। फिलहाल पोस्टर लगाना सही या गलत इस पर फैसला नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया है।
Supreme Court observes, and questions the way it (UP Government) had taken this "drastic" step of putting details of alleged arsonists on hoardings, and said that it can understand the anxiety of the state but there is perhaps no law to back its decision. https://t.co/A6SPbAy4LK
— ANI (@ANI) March 12, 2020
दरअसल उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित रूप से हिंसा फैलाने वालों के पोस्टर लखनऊ में लगाए जाने का मामला हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सरकार की याचिका पर आज (12 मार्च) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। यूपी सरकार की तरफ से पेश तुषार मेहता ने कहा, जब प्रदर्शनकारी खुले में सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान कर रहे हैं तो ऐसे में यह दावा नहीं किया जा सकता है कि पोस्टर लगने से उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यूपी सरकार की कार्रवाई कानूनन सही नहीं है।
SC begins hearing Special Leave Petition filed by Uttar Pradesh Govt challenging the Allahabad High Court’s order directing the concerned authorities to immediately remove the posters of those accused persons allegedly involved in vandalism during the CAA protests in the state.
— ANI (@ANI) March 12, 2020
बता दें कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएए प्रदर्शन के दौरान कथित हिंसा के आरोपियों का पोस्टर हटाने का आदेश दिया था। लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए हैं। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि, लखनऊ के जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर 16 मार्च तक होर्डिस हटवाएं। साथ ही इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को दें। हाईकोर्ट ने दोनों अधिकारियों को हलफनामा भी दाखिल करने का आदेश दिया था।
योगी सरकार को झटका, लखनऊ में हिंसा के आरोपियों के पोस्टर हटाने का आदेश
दरअसल योगी सरकार ने राज्य में हिंसा भड़काने के कुछ आरोपियों की तस्वीर वाले पोस्टर चौराहों पर लगवाए हैं। लखनऊ के अलग-अलग चौराहों पर वसूली के लिए 57 कथित प्रदर्शनकारियों के 100 पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टर्स में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले आरोपियों के नाम, पता और फोटो दिखाए गए हैं। हाई कोर्ट ने इस मामले मामले में स्वत: संज्ञान लिया था। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन पोस्टर्स को हटवाने का आदेश दिया। हिंसा के आरोपियों के फोटो वाले विवादित पोस्टर्स को हटाने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा था, पोस्टर लगाना सरकार और नागरिक दोनों के लिए अपमान की बात है। सार्वजनिक स्थानों पर संबंधित व्यक्ति की इजाजत के बिना उसकी तस्वीर या पोस्टर लगाना गलत है। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।