Shaheen Bagh: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सार्वजनिक जगहों पर अनिश्चितकाल तक प्रदर्शन नहीं हो सकता, आने-जाने का अधिकार सभी को
Shaheen Bagh: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सार्वजनिक जगहों पर अनिश्चितकाल तक प्रदर्शन नहीं हो सकता, आने-जाने का अधिकार सभी को
- सार्वजनिक जगहों पर अनिश्चितकाल तक शाहीन बाग जैसे प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
- जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया
- प्रीम कोर्ट ने कहा- सार्वजनिक जगहों पर अनिश्चितकाल तक प्रदर्शन नहीं हो सकता
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सार्वजनिक जगहों पर अनिश्चितकाल तक शाहीन बाग जैसा प्रदर्शन हो सकता है या नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि सार्वजनिक जगहों पर अनिश्चितकाल तक प्रदर्शन नहीं हो सकता है चाहे वो शाहीन बाग हो या कोई और जगह। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन निर्धारित जगहों पर ही किया जाना चाहिए। आने-जाने के अधिकार को रोका नहीं जा सकता है। विरोध और आने-जाने के अधिकार में संतुलन जरूरी है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली तीन-जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया।
पॉइंट्स में समझे पूरा मामला:
1. नागरिकता संशोधन (संशोधन) अधिनियम के पारित होने के खिलाफ शाहीन बाग का विरोध 14 दिसंबर, 2019 को शुरू हुआ था। कोविड-19 को रोकने के लिए किए गए राष्ट्रव्यापी बंद के बाद यह 24 मार्च, 2020 को समाप्त हुआ था।
2. शाहीद बाग के प्रदर्शनकारियों ने कई महीनों तक सड़क के एक खंड को अवरुद्ध कर दिया था, जिससे लोगों को आने-जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
3. 17 फरवरी को, सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों के साथ मध्यस्थता करने का काम सौंपा था। कई दौर की मंत्रणा हुई। विरोध वापस नहीं लिया गया, लेकिन अवरुद्ध सड़क का एक हिस्सा यातायात के लिए खोल दिया गया।
4. देश में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के बाद विरोध वापस ले लिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट इस तरह के प्रदर्शनों को लेकर अपना फैसला सुनाया।
5. क्या एक सार्वजनिक सड़क को लंबे समय तक अवरुद्ध किया जा सकता है? विरोध प्रदर्शन कब और कहां हो सकते हैं? 21 सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था, हम इस बारे में सोचेंगे कि इसे कैसे संतुलित किया जा सकता है।
6. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता के साथ केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा था कि विरोध का अधिकार निरपेक्ष नहीं हो सकता है और यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है।