पहलू खान केस: गहलोत सरकार ने SIT को सौंपी जांच, 15 दिन में देगी रिपोर्ट
पहलू खान केस: गहलोत सरकार ने SIT को सौंपी जांच, 15 दिन में देगी रिपोर्ट
- अलवर की जिला अदालत सभी 6 आरोपियों को बरी कर चुकी है
- पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले की जांच के लिए राजस्थान सरकार ने बनाई SIT
डिजिटल डेस्क, जयपुर। अलवर जिले के पहलू खान मॉब लिंचिंग मामले की फिर से जांच होगी। इसके लिए राजस्थान की गहलोत सरकार ने तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है। एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट 15 दिन में राज्य सरकार को सौंप देगी। मॉब लिंचिंग में पहलू खान की हत्या के मामले में सभी आरोपियों के बरी होने पर हुई किरकिरी के बाद राजस्थान सरकार ने एसआईटी को जांच सौंपने का ऐलान किया है।
Rajasthan Chief Minister"s Office (CMO): A Special Investigation Team (SIT) will be constituted to investigate the Pehlu Khan case (2017 Alwar lynching). The SIT will submit its report within 15 days. (File pic) pic.twitter.com/6Z3Yo8VTSM
— ANI (@ANI) August 17, 2019
इस मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी अपनी जांच रिपोर्ट 15 दिन में राज्य सरकार को सौंप देगी. जानकारी के मुताबिक, एसआईटी का प्रमुख स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के डीआईजी नितिन देव को बनाया गया है। राज्य के एडीजी क्राइम बीएल सोनी जांच पर नजर रखेंगे। एसआईटी में सीबीसीआईडी के एसपी समीर कुमार सिंह भी हैं। एसआईटी मुख्य रूप से पहलू खान मॉब लिंचिंग केस की जांच में खामियों और मिलीभगत कर आरोपियों को बचाने वाले अधिकारियों की पहचान करेगी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले ही कह चुके हैं, राज्य सरकार निचली अदालत के फैसले को चुनौती देगी। गहलोत ने पहलू खान मामले पर आए अदालत के फैसले पर शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री कार्यालय में उच्च अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की। गहलोत ने इस केस को लेकर गृह एवं विधि विभाग के अफसरों को तलब किया। पुलिस जांच में रही खामियों का पता लगाने के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन किया।
गौरतलब है कि, यह घटना दो साल पहले हुई थी। खान 1 अप्रैल 2017 को जयपुर से दो गाय खरीद कर जा रहा था तभी बहरोड़ में भीड़ ने गो तस्करी के शक में उन्हें रोक लिया। खान और उसके दो बेटों की भीड़ ने कथित तौर पर पिटाई की। 3 अप्रैल को इलाज के दौरान अस्पताल में खान की मौत हो गई थी।
इस मामले में कुल 9 आरोपी थे। इनमें से 3 आरोपी नाबालिग थे। बुधवार को अदालत ने 6 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए निर्दोष करार दिया था। अदालत ने अपने आदेश में वीडियो फुटेज को सबूत नहीं माना। कोर्ट ने अपने आर्डर में कहा, पुलिस ने वीडियो फुटेज की एफएसएल जांच नहीं कराई। साथ ही कोर्ट ने कहा, पहलू खान के बेटे आरोपियों की पहचान नहीं कर सके। इन्हीं आधारों पर कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया।