रेल मंत्री वैष्णव ने कहा किसान रेल छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हुई
कोरोना महामारी रेल मंत्री वैष्णव ने कहा किसान रेल छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हुई
- देश में 1642 किसान रेल संचालित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि कोरोना महामारी और उसके बाद के समय में किसान रेल छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। वाईएसआर कांग्रेस के तालावी रंगैयाह ने कहा कि यह सेवा उन छोटे किसानों के लिए बहुत ही लाभकारी साबित हुई है जो फल तथा सब्जी के कारोबार से जुड़े हैं और इसने उनकी आजीविका में कोफी परिवर्तन किए हैं।
लोकसभा में प्रश्नकाल में एक सवाल के जवाब में रेल मंत्री ने जानकारी दी कि इस समय देश में 1,642 किसान रेलों को संचालित किया जा रहा है और इनमें स्लीपर कोच की शुरूआत करने से वस्तुओं को होने वाले नुकसान में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि ट्रकों के मुकाबले इनकी परिवहन लागत काफी कम है। उन्होंने यह भी कहा कि ये मालगाड़ियां हैं और इसी वजह से इनमें किसानों को चलने की अनुमति नहीं हैं।
भाजपा सांसद संघप्रिया मौर्या के बंदायू से किसान रेल शुरू करने के सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा अगर सामान की बुकिंग अधिक मात्रा में होती है तो निश्चत तौर पर रेलवे वहां से किसान रेल को शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार करेगी। उन्होंने सदन को जानकारी देते हुए कहा कि जल्द खराब होने वाले फलों तथा सब्जियों के लिए वातानुकूलित कंटेनरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जल्द खराब होने वाली सामग्रियों पर सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी देती है और दूध की आपूर्ति के लिए विशेष टैंकरों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
गौरतलब है कि वर्ष 2020-21 के केन्द्रीय बजट में किसान रेल को शुरू करने की घोषणा की गई थी और जल्द नष्ट होने वाली वस्तुओं के लिए इस वर्ष सितंबर से इनकी शुरूआत की गई थी। इन पर फल तथा सब्जियों के लदान से छोटे छोटे रेलवे स्टेशनों की कायाकल्प ही हो गई है तथा इसका फायदा छोटे और सीमांत किसानों को मिला है क्योंकि छोटे स्टेशनों पर ठहराव होने से उन्हें आर्थिक तौर पर फायदा हुआ है। सांगोला, जीअर, राहूरी, कोपरगांव, येओला और निपहाद जैसे छोटे स्टेशन अब फलों तथा सब्जियों के बड़े लदान केन्द्र बन गए हैं।
भारतीय रेल जल्द नष्ट होने वाले उत्पादों तथा खेती उत्पादों जैसे फल , सब्जी, दूध , मांस एवं डेरी उत्पादों के लिए किसान रेल का संचालन कर रही है। इनके जरिए छोटे गांवों से बड़े शहरों तक संतरों, अनार, प्याज, सेब, केला, आम, मिर्च, चीकू और गाजर आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जा रहा है और किसानों को उनके उत्पादों की सही तथा बाजिब कीमत मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति में बदलाव आया है।
(आईएएनएस)