Rafale Fighter Jets: UAE पहुंचे 5 राफेल विमान, बुधवार को भारत में होगी लैंडिंग, अंबाला एयरबेस का 3 किमी एरिया नो ड्रोन जोन घोषित
Rafale Fighter Jets: UAE पहुंचे 5 राफेल विमान, बुधवार को भारत में होगी लैंडिंग, अंबाला एयरबेस का 3 किमी एरिया नो ड्रोन जोन घोषित
- 7364 किलोमीटर की हवाई दूरी तय करके बुधवार को अंबाला एयरबेस पहुंचेंगे
- फ्रांस से भारतीय वायुसेना के पायलट लेकर आ रहे हैं पांचों राफेल लड़ाकू विमान
- ये पांच विमान भारत-फ्रांस के बीच हुए 36 विमानों के समझौते की पहली खेप है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन से चल रही तनातनी के बीच आज (सोमवार, 27 जुलाई 2020) फ्रांस के मेरिनेक एयरबेस से पांच राफेल फाइटर विमानों की पहली खेप भारत के लिए रवाना हो चुकी है। भारतीय वायुसेना से मिली जानकारी के अनुसार ये सभी पांचों फाइटर जेट्स संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के अल-दफरा एयरबेस पर सुरक्षित लैंड कर चुके हैं। पांचों विमान 7 हजार 364 किलोमीटर की दूरी तय कर बुधवार, 29 जुलाई को वायुसेना के अंबाला एयरबेस पर लैंड करेंगे। इस दौरान विमानों में एयर टू एयर री-फ्यूलिंग भी की जाएगी।
बता दें कि भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए चार साल पहले फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपए का करार किया था। वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि 10 विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है और इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रुकेंगे। बयान में कहा गया कि सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी। अब तक वायुसेना के 12 लड़ाकू पायलटों ने फ्रांस में राफेल लड़ाकू जेट पर अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। कुछ और अपने प्रशिक्षण के उन्नत चरण में हैं।
#WATCH Rafale jet taking off from France to join the Indian Air Force fleet in Ambala in Haryana on July 29th. https://t.co/vrnXI82puO pic.twitter.com/ZMg1k2zvk8
— ANI (@ANI) July 27, 2020
रवानगी से पहले पायटलों से मिले भारतीय राजदूत
राफेल लड़ाकू विमानों की रवानगी के दौरान भारतीय राजदूत जावेद अशरफ मेरिनेक एयरबेस पर मौजूद रहे। उन्होंने रफेल को ले जाने वाले भारतीय पायलटों से मुलाकात भी की। इस दौरान उन्होंने राफेल उड़ाने वाले पहले भारतीय पायलटों को बधाई दी। उन्होंने फ्रेंच एयरफोर्स और राफेल बनाने वाली कंपनी द सॉल्ट एविएशन को भी धन्यवाद दिया।
विमानों में एयर टू एयर ईंधन भरे जाएंगे
फ्रांस से भारत की यात्रा के दौरान विमान के मध्य पूर्व पहुंचने पर हवा में ईंधन भरा जाएगा। ये ईंधन फ्रांसीसी वायुसेना के टैंकर विमान भरेंगे। इसके बाद मध्य पूर्व से भारत तक की उड़ान के दौरान बीच में भारतीय आईएल-78 के विमान राफेल में फिर ईंधन भरेंगे। सूत्रों ने बताया कि वैसे तो राफेल 10 घंटे लगातार उड़ान भरकर सीधे भारत आ सकते हैं, मगर पायलटों को बेहद तनाव झेलना पड़ सकता है। मिराज 2000 जब भारत आया था तो कई जगह रुका था, लेकिन राफेल एक स्टॉप के बाद सीधे अम्बाला एयरबेस पर उतरेगा।
अंबाला एयरबेस का 3 किमी एरिया नो ड्रोन जोन घोषित
अंबाला एयर बेस राफेल के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है। राफेल विमानों के भारत आगमन के मद्देनजर अंबाला एयर बेस के लिए सुरक्षा के बंदोबस्त भी कड़े कर दिए हैं। अब अंबाला एयरबेस के 3 किलोमीटर के दायरे को नो ड्रोन जोन घोषित कर दिया गया है। एयरबेस के तीन किलोमीटर के दायरे में ड्रोन पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उस पर एक्शन लिया जाएगा। अंबाला छावनी के DSP राम कुमार ने इस बात की जानकारी दी।
कुल 36 राफेल में से 30 लड़ाकू विमान और 6 ट्रेनर विमान
इन विमानों की पहली स्क्वाड्रन को अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात किया जाएगा, जिसे भारतीय वायुसेना का सबसे अहम रणनीतिक बेस माना जाता है। दिलचस्प बात ये भी है कि अम्बाला एयरबेस चीन की सीमा से भी 200 किमी की दूरी पर है। अंबाला में 17वीं स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज राफेल की पहली स्क्वाड्रन होगी। वहीं, दूसरा रणनीतिक बेस पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में होगा। कोरोना महामारी के बावजूद वायुसेना कड़ी मेहनत से जमीनी ढांचे को तैयार कर रही है, ताकि विमानों को यहां से संचालित किया जा सके। वायुसेना ने राफेल के रखरखाव और तैनाती के लिए दोनों स्टेशनों पर करीब 400 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। कुल 36 राफेल में से 30 लड़ाकू विमान हैं, जबकि छह ट्रेनर विमान हैं। ट्रेनर विमान दो सीटों वाले हैं। उनमें लड़ाकू विमानों जैसी ही खासियतें होंगी।
पोटेंट मेट्योर और स्कैल्प मिसाइल प्रणाली से लैस
राफेल लड़ाकू विमान मेटेओर, स्कैल्प और मिका जैसे विजुअल रेंज मिसाइलों से सुसज्जित होगा, जोकि दूर से ही अपने लक्ष्य को भेद सकती हैं। ये भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में व्यापक इजाफा करेंगे। मेट्योर सिस्टम दुश्मन को हवा से हवा में ही मार गिराने की तकनीक है, जबकि स्कैल्प लंबी दूरी का क्रूज मिसाइल है। इसे इस विमान से ही लॉन्च किया जा सकता है ये मिसाइल दुश्मन के स्थिर और गतिशील लक्ष्यों को अंदर तक जाकर भेद सकता है।
भारत की जरूरतों के मुताबिक किए गए बदलाव
राफेल लड़ाकू विमान में भारत की जरूरतों के मुताबिक कई और बदलाव और संवर्धन किए गए हैं। इन खासियतों पर एयर फोर्स के ऑफिसरों को विशेष रूप से ट्रेनिंग दी गई है। उन्हें न सिर्फ इसकी ऑपरेशनल जानकारी दी गई है, बल्कि रख-रखाव और मरम्मत के बारे में भी बताया गया है।
भारत और चीन की वायु सेना की ताकत
भारत-चीन की वायु शक्ति की बात करें तो, पश्चिमी कमांड में, चीन की पीएलए वायुसेना ने 157 लड़ाकू विमान और 20 जीजे-1 डब्ल्यूडी-1के को तैनात किया है। चीन दावा करता है कि इसके घर में बने जे-10सी और जे-16 लड़ाकू विमान, रूस में बने मिग-29, सु-30एस और फ्रांस में बने मिराज 2000 जेट से ज्यादा उन्नत हैं। चीन का यह भी दावा है कि जे-20 लड़ाकू विमान के पास भारतीय लड़ाकू विमान के मुकाबले पीढ़ीगत लाभ है और इस गैप को किसी भी तरह भरपाना मुश्किल है। वहीं दूसरी ओर भारत दावा करता है कि मिराज 2000 और सुखोई 30 चीन के जे10, जे11 और सु-27 विमानों से अधिक ताकतवर हैं।