राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीनों कृषि बिलों को दी मंजूरी

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीनों कृषि बिलों को दी मंजूरी

Bhaskar Hindi
Update: 2020-09-27 13:39 GMT
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीनों कृषि बिलों को दी मंजूरी
हाईलाइट
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद अब ये तीनों ही कृषि बिल एक्ट बन गए है
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद द्वारा पारित तीनों कृषि बिलों को मंजूरी दे दी है
  • विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात करके इन बिलों को मंजूरी नहीं देने की अपील की थी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा-राज्यसभा से पारित हो चुके केन्द्र की मोदी सरकार के तीनों बिलों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब ये तीनों बिल कानून बन गए हैं। इन बिलों को लेकर संसद में विपक्षी दलों ने और बाहर पंजाब-हरियाणा के किसानों ने जमकर विरोध किया। इस बिल के विरोध में पहले अकाली दल की नेता और केन्द्रीय मंत्री हर सिमरत कौन ने केन्द्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दिया। कुछ दिन बाद अकाली दल भी एनडीए से अलग हो गया। दोनों सदन में इन विधेयकों के पास होने के बाद विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात करके इन बिलों को मंजूरी नहीं देने की अपील की थी।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद संसद से पास हुए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर 24 सितंबर को और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 अब कानून बन गए हैं।

कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) सहित कई विपक्षी दलों, जो तब सत्तारूढ़ राजग का हिस्सा था, ने राष्ट्रपति कोविंद से संसद द्वारा पारित होने के बाद बिलों पर हस्ताक्षर नहीं करने का आग्रह किया था। 21 सितंबर को राष्ट्रपति से मिलने के बाद, एसएडी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा था, हमने राष्ट्रपति से संसद में पारित किए गए किसान विरोधी बिलों पर हस्ताक्षर करने के खिलाफ अनुरोध किया है। हमने उनसे उन बिलों को संसद में वापस भेजने का अनुरोध किया है।

मोदी सरकार में एसएडी की एकमात्र खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने लोकसभा में विधेयकों पर मतदान से पहले इस्तीफा दे दिया था और इसी मुद्दे पर उनकी पार्टी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) भी छोड़ दिया था। शनिवार की रात एक आपातकालीन बैठक में, एसएडी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय ने भाजपा और गठबंधन के साथ अपने संबंधों को पूरी तरह से खत्म करने का निर्णय लिया। ऐसा केंद्र सरकार के किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए विधायी गारंटी देने से इनकार करने के बाद किया गया। बता दें कि शुक्रवार को किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ देशव्यापी प्रदशर्न किया था और पंजाब, हरियाणा समेत देश के कई हिस्सों में चक्का जाम किया था।

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