कवि ने लगाया कविता चोरी का आरोप, कहा स्त्रियों के लिए लिखी थी कविता राजनीति के लिए नहीं 

प्रियंका गांधी ने पढ़ी कविता कवि ने लगाया कविता चोरी का आरोप, कहा स्त्रियों के लिए लिखी थी कविता राजनीति के लिए नहीं 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-11-18 09:29 GMT
कवि ने लगाया कविता चोरी का आरोप, कहा स्त्रियों के लिए लिखी थी कविता राजनीति के लिए नहीं 
हाईलाइट
  • कविता चोरी करने वालों से देश को क्या उम्मीद?

डिजिटल डेस्क, चित्रकूट। उत्तरप्रदेश में होने वाले आगामी चुनावों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी चुनावी सियासी का फायदा उठाने के लिए युवा लेखक पुष्यमित्र उपाध्याय की कविता को चित्रकूट में महिलाओं को सुनाया। राजनीतिक लाभ के चलते लेखक ने इस पर आपत्ति जताते हुए उन पर कविता चोरी का आरोप भी लगाया है। कवि पुष्यमित्र उपाध्याय ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी पर कविता चोरी का आरोप लगाते हुए कहा है कि ये कविता उन्होंने देश की स्त्रियों के लिए लिखी थी न कि घटिया राजनीति के लिए।
कविता का कहना है कि ये कविता राजनीतिक उपयोग करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। आपको बता दें  पुष्यमित्र उपाध्याय ने ये कविता निर्भया कांड के समय आहत होकर लिखी थी। उन्होंने कहा कि ये कविता मैंने देश की महिलाओं के लिखी थी न कि आपकी घटिया राजनीति के लिए। युवा कवि ने आगे कहा कि कविता चोरी करने वालों से देश क्या उम्मीद रखेगा।
कविता पर कवि की आपत्ति
कवि पुष्यमित्र उपाध्याय ने इस पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को कविता के राजनीतिक इस्तेमाल करने की अनुमति देने से साफ मना कर दिया है। पुष्यमित्र उपाध्याय ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि ये कविता मैंने देश की स्त्रियों के लिए लिखी थी न कि आपकी घटिया राजनीति के लिए। उन्होंने लिखा है कि न तो मैं आपकी विचारधारा का समर्थन करता हूं और न ही मैं आपको अपनी साहित्यिक संपत्ति का राजनैतिक उपयोग की अनुमति देता हूं।

दरअसल उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जोर शोर से जुटीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बुधवार 17 नवंबर को चित्रकूट पहुंचीं थी। उन्होंिने यहां महिलाओं से संवाद किया। संवाद के दौरान  प्रियंका गांधी ने चित्रकूट के रामघाट पर महिलाओं को संबोधित करते हुए महिलाओं से बदहाली से निकालने के लिए संघर्ष में आगे आने का आह्वान किया। जहां उन्होंने एक कविता पाठ किया “बहुत हुआ इंतजार अब, सुनो द्रौपदी शस्त्र उठा लो अब गोविंद ना आएंगे, औरों से कब तक आस लगाओगे”  

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