Bodo Peace Accord: पीएम नरेंद्र मोदी बोले- मुझपर माताओं-बहनों का आशीर्वाद है, डंडों का असर नहीं होगा
Bodo Peace Accord: पीएम नरेंद्र मोदी बोले- मुझपर माताओं-बहनों का आशीर्वाद है, डंडों का असर नहीं होगा
- असम अकॉर्ड की धारा-6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाएगा- पीएम नरेंद्र मोदी
- विकास ही पहली और आखिरी प्राथमिकता- पीएम मोदी
डिजिटल डेस्क, कोकराझार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बोडो समझौते(Bodo Agreement) को लेकर कोकराझार(Kokrajhar) में पहुंचे। जहां उन्होंने जनता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन संकल्प लेने का है, विकास और विश्वास की मुख्य धारा को मजबूत करना है। पीएम मोदी ने कहा, "गांधी जी कहते थे कि अंहिसा के मार्ग पर चलकर हमें जो प्राप्त होता है वो सभी को स्वीकार होता है। उन्होंने कहा कि असम के साथियों ने शांति और अहिंसा का मार्ग स्वीकार करने के साथ लोकतंत्र और भारत के संविधान को स्वीकार किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कभी-कभी लोग मुझे डंडा मारने की बात करते हैं, लेकिन बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मुझे मिला है। कितने भी डंडे गिर जाएं कुछ नहीं होगा। बता दें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह(Amit Shah) की मौजूदगी में 27 जनवरी 2020 को दिल्ली में बोडो समस्या के समाधान के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
पीएम मोदी की मुख्य बातें:
- केंद्र सरकार, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संग संगठनों ने जिस ऐतिहासिक अकॉर्ड पर सहमति जताई है, जिस पर साइन किया है, उसके बाद अब कोई मांग नहीं बची है और अब विकास ही पहली और आखिरी प्राथमिकता है।
- सरकार का प्रयास है कि असम अकॉर्ड की धारा-6 को भी जल्द से जल्द लागू किया जाए।
- अकॉर्ड के तहत BTAD में आने वाले क्षेत्र की सीमा तय करने के लिए कमीशन भी बनाया जाएगा। इस क्षेत्र को 1500 करोड़ रुपये का स्पेशल डेवलपमेंट पैकेज मिलेगा, जिसका बहुत बड़ा लाभ कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदालगुड़ि जैसे जिलों को मिलेगा।
- "बोडो टेरीटोरियल कॉउंसिल" यहां के हर समाज को साथ लेकर, विकास का एक नया मॉडल विकसित करेगी।
- बोडो टेरिटोरियल काउंसिल, असम सरकार और केंद्र सरकार, अब साथ मिलकर, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास को नया आयाम देंगे।
- 21वीं सदी का भारत अब ये दृढ़ निश्चय कर चुका है कि हमें अब अतीत की समस्याओं से उलझकर नहीं रहना है।
- जिस नॉर्थ ईस्ट में अपने-अपने जमीनों को लेकर लड़ाईयां होती थी, अब यहां एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना मजबूत हुई है।
- जिस नॉर्थ ईस्ट में हिंसा की वजह से हजारों लोग अपने ही देश में शरणार्थी बने हुए थे। अब यहां उन लोगों को पूरे सम्मान और मर्यादा के साथ बसने की नई सुविधाएं दी जा रही हैं।
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बोडो समझौते के मुख्य बिंदु:
- इस समझौते के अनुसार बोडोलैंड क्षेत्र के 7 जिले होंगे।
- बोडो हिंसक समूहों के सदस्य विकास और शांति के लिए हथियार छोड़ेंगे।
- केंद्र और राज्य सरकार बोडो क्षेत्रों के विकास से लिए 1500 करोड़ रुपए का विशेष पैकेज जारी करेगी।
- बोडो आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा।
- बोडो बाहुल्य क्षेत्र के विकास के लिए संविधान की छठी अनुसूची धारा 14 के तहत एक आयोग का गठन किया जाएगा।
- बोडो गावों के विकास के लिए बोडो कचारी कल्याण परिषद की स्थापना की जाएगी।
- बोडो लोगों की पहचान, भाषा, शिक्षा और भूमि अधिकार से जुड्डे समस्याओं को हल किया जाएगा।
- बोडो भाषा को राज्य में सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में अधिसूचित किया जाएगा।
- बोडो स्कूलों के लिए अलग से निदेशालय की स्थापना की जाएगी।
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कौन है बोडो जनजाति?
बोडो जनजाति ब्रह्मपुत्र घाटी के उत्तरी हिस्से में बसी असम की सबसे बड़ी जनजाति है। बोडो समुदाय के लोग असम के मूल निवासी है। राज्य की कुल आबादी में इस समुदाय की हिस्सेदारी 7 प्रतिशत से अधिक है। असम राज्य में उत्तर में स्थित चार जिलों कोकराझार, बक्सा, उदलगुरी और चिरंगा को मिलाकर बोडो प्रादेशिक क्षेत्र जिला (Bodo Territorial Area District- BTAD) का गठन किया गया है।
बोडोलैंड विवाद:
- बोडो लोगों ने पहली बार साल 1966-67 में प्लेन्स ट्राइबल कौंसिल ऑफ असम (Plains Tribals Council of Assam-PTCA) नामक संगठन के माध्यम से अलग राज्य की मांग की थी।
- साल 1987 में ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन (All Bodo Students Union- ABSU) ने बोडोलैंड की मांग तेज की और असम राज्य को दो बराबर हिस्सों में बांटने की मांग रखी।
- 1993 में ऑल बोडो स्टूडेंट यूनियन के साथ पहला बोडो समझौता हुआ।
- फरवरी 2003 में बोडो लिबरेशन टाइगर्स फोर्स के साथ दूसरा समझौता हुआ था।
- साल 2012 में बोडो मुस्लिम दंगों में कई लोगों की मौत हो गई।
- दिसंबर 2014 में अलगावादियों ने सोनितपुर और कोकराझार में 25 से अधिक लोगों की हत्या कर दी।