बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते पैरेंट्स, कोरोना के नए वेरिएंट का डर- सर्वे
बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते पैरेंट्स, कोरोना के नए वेरिएंट का डर- सर्वे
- कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर चिंता
- कोरोना सर्वे में पेरेंट्स की राय
- पेरेंट्स नहीं चाहते अभी खुलें स्कूल
नई दिल्ली। कोरोना के चलते अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों को अभी स्कूल भेजने को तैयार नहीं हैं। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में एक सर्वे करवाया गया था, जिसमें 76% अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजने के पक्ष में हैं। जब तक कोरोना के मामले आना बंद नहीं हो जाते या फिर उनके बच्चे जब तक पूरी तरह वैक्सिनेट नहीं हो जाते पैरेंट्स चाहते हैं कि तब तक स्कूल न खुलें।
पेरेंट्स की चिंता बढ़ी
इस वक्त देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर चल रही है, विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरी लहर भी आ सकती है। जिसके चलते 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाएं भी रद्द कर दी गई हैं। इससे पेरेंट्स की चिंता और बढ़ गई है। आज से चार महीने पहले की बात करें तो पहले 69 फीसदी पेरेंट्स बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार थे, लेकिन अब 24 फीसदी पेरेंट्स ही बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार है।
एक्सपर्ट्स का दावा - बढ़ सकता है संक्रमण
लोकल सर्किल्स के सर्वे के आधार पर सरकार ने इस हफ्ते अपनी डेली ब्रीफिंग में घोषणा की थी कि देश में जब तक ज्यादातर लोगों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक स्कूलों को खोलना मुश्किल होगा। उधर एक्सपर्ट्स का भी यही मानना है कि स्कूल खोलने से संक्रमण बढ़ सकता है।
तीसरी लहर की है संभावना
बतादें, कोरोना की पहली लहर के मुकाबले बच्चों पर दूसरी लहर का असर ज्यादा दिखा। वहीं, अब तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में अभी स्कूल खोलने जोखिम भरा हो सकता है।
जुलाई में बच्चों पर वैक्सीन ट्रायल की योजना
उधर जुलाई के महीने में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया बच्चों पर नोवावैक्स (Novavax) के ट्रायल की योजना बना रहा है। इसके साथ ही भारत बायोटेक की दो वैक्सीन का ट्रायल भी जारी है। वहीं 12 से 18 वर्ष के बच्चों पर जायडस की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो चुका है।