आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर जानिए उन नेताओं के बारे ने जिनकी कामयाबी के चर्चे देश के हर कोने में होते हैं

आजादी का अमृत महोत्सव आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर जानिए उन नेताओं के बारे ने जिनकी कामयाबी के चर्चे देश के हर कोने में होते हैं

Bhaskar Hindi
Update: 2022-08-14 04:28 GMT
आजादी की 75 वीं वर्षगांठ पर जानिए उन नेताओं के बारे ने जिनकी कामयाबी के चर्चे देश के हर कोने में होते हैं
हाईलाइट
  • अलग राजनीति की शैली के चलते बने महान नेता

डिजिटल  डेस्क, नई दिल्ली। भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश हुकूमत से डटकर सामने करते हुए देश को आजादी दिलाने में कई महान क्रांतिकारियों ने अपना पूरा जीवन समर्पण कर दिया। जीवन पर्यंन्त आंदोलन करते रहे, संघर्ष करते रहे, और एक दिन ऐसा आया जब अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। वो दिन था 15 अगस्त 1947 जिस दिन भारत को आजादी मिली। आज स्वतंत्र भारत अपनी आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है। आजादी के इस अमृत महोत्सव पर हम आपको देश के ऐसे महान नेताओं के बारे में बताएंगे जिन्हें देश भूल नहीं सकता। 

स्वतंत्र भारत में कई नेता ऐसे रहे जिन्‍होंने देश को आधुनिक रूप देने के लिए अपना सर्वस्‍व न्‍यौछावर कर दिया। आजाद भारत के दिग्गज नेताओं ने  भारतीय  राजनीति  को एक नई दिशा दी। ऐसे दिग्गज नेताओं ने देश में सामाजिक आर्थिक न्याय के साथ देश में एक सुखमय खुशनुमा परिवेश पर जोर दिया जिसमें हर किसी को मौका और सम्मान से जीने का अवसर मिलें।   उन्होंने गरीबी हटाने के साथ साथ देश में शिक्षा व आधुनिकता के विकास पर फोकस किया।  इन महान नेताओं ने अपने जीवन से ऊपर उठकर देश की सेवा को सर्वोपरि माना और  देश की दशा और दिशा को मोड़ कर आधुनिक भारत की नींव रखी। उनमें से कुछ नेता ऐसे भी रहे जिन्होंने अपने संघर्ष, त्याग, समर्पण के बलबूते पर भारतीय राजनीति के बदलते दौर में राजनीति के जरिए भारतवासियों के दिलों में न केवल जगह बनाई बल्कि भारत को एक नई सोच, एक नई विचारधारा दी। और नए भारत के विकास की नींव को और मजबूत किया।

राममनोहर लो‍हिया : भारत के समाजवादी नेताओं में शुमार डॉ राम मनोहर लोहिया ने भारत की आजादी में समाजवादी रूप से ब्रिटिश हुकुमत के  खिलाफ मोर्चा खोला। डॉ लोहिया ने भारत की पिछड़ी,शोषित और वंचित जनता के लिए भारत का सपना देखा। प्रखर वक्ता और समाजवादी चिंतक डॉ लोहिया ने आजाद भारत में  नेहरू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला । ऐसा करने वाले वो एकमात्र नेता थे। 

लाल बहादुर शास्‍त्री 

साफ स्वच्छ ईमानदार, सादगी छवि वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने कुशल राजनीतिक नेतृत्‍व वाले नेता रहे।  उन्‍होंने देश में विकास का प्रतीक किसानों को माना। उन्होंने  जय जवान, जय किसान जैसा लोकप्रिय और ऐतिहासिक नारा दिया। जिसकी गूंज आज भी किसान आंदोलन में सुनाई देती है। 

सरदार बल्‍लभ भाई पटेल : लौहपुरुष के रूप में विख्यात सरदार बल्‍लभ भाई पटेल ने टुकडों में बंटे आजाद भारत में  सैकड़ों  रियासतों, रजवाडों को मिलाकर आजाद भारत की नई तस्वीर बनाई। पटेल को नए भारत का पुरोधा माना जाता है। भारत के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री रहे सरदार पटेल  मजबूत और दृढ राजनीतिक इच्‍छाशक्ति वाले राजनेता और आंदोलनकर्ता थे।

मोरारजी देसाई

भारत में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व करने वाले मोरारजी देसाई ही पहले राजनेता थे। उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए इंदिरा गांधी को गूंगी गुडिया कहा था। 1952 में बंबई के मुख्यमंत्री बने वहीं  1967 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी तब मोरारजी देसाई डिप्टी पीएम और होम मिनिस्टर बने थे। मोरारजी देसाई को पाकिस्तान ने तहरीक- ए- पाकिस्तान सम्मान से सम्मानित किया ।

जयप्रकाश नारायण : जयप्रकाश नारायण को  देश  लोकनायक के रूप में जानता है। 70 के दशक में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ देश में बुलंद आवाज पैदा करने वाले महान स्‍वतंत्रता सेनानी और आजाद भारत में विपक्ष का नेतृत्‍व करने वाले तेजतर्रार जननेता जेपी इन्हीं को ही कहा जाता है। जेपी आजाद भारत में क्रांतिकारी और आंदोलनधर्मी राजनीति को दिशा देने वाले  नेताओं के रूप में जाने जाते है। 

नरसिंम्‍हा राव आजाद भारत के नौवें प्रधानमंत्री पामुलापति वेंकट नरसिंम्‍हा राव को भारतीय राजनीति के इतिहास में  खुली अर्थव्‍यवस्‍था का पुरोधा माना जाता है।  भारत में  ग्‍लोबल इकॉनॉमी के पैरोकार नरसिंम्‍हा ही थे। राव को आर्थिक आजादी का मसीहा भी कहा जाता है।

कांशीराम

बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने अपने संघर्षों से वंचितों को सियासत के गुण सिखाएं। काशीराम ने पिछड़ों को फ़र्श से अर्श तक पहुंचाया, लेकिन खुद हमेशा  शून्य को प्रणाम करते रहे। काशीराम ने पुणे में सहायक वैज्ञानिक की नौकरी छोड़कर वंचित समाज की आवाज बुलंद की। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी बनाकर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में चार बार सरकार बनाकर मायावती को मुख्यमंत्री बनाया। आपको बता दें अंबेडकर के बाद देश में  शोषित, पिछड़े, वंचित वर्ग की राजनीति का उभार  काशीराम ने पैदा किया था। काशीराम ने संख्याबल के आधार पर हिस्सेदारी की बात कर भारतीय राजनीति का शिखर स्तंभ हिला दिया था। संघर्षमय जीवन में काशीराम सदैव सादगी सरल स्वभाव वाले व्यक्ति बने रहें। उन्होंने देश में पिछड़े वर्गों को राजनीति के जरिए सत्ता के सपने दिखाए और उन्हें पूरा भी किया। वैसे अटल बिहारी ने काशीराम को राष्ट्रपति बनने का ऑफर दिया था, लेकिन काशीराम ने अटल ऑफर को ठुकरा दिया था।

मनोहर पर्रिकर

मनोहर पर्रिकर देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो आईआईटी डिग्रीधारी थे। सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले मनोहर साफ छवि और आम इंसान की तरह रहने वाले नेता थे। उन्होंने एक स्कूटर के सहारे पूरा राजनीतिक सफर तय कर डाला। उन्होंने रक्षामंत्री जैसे पद  भी संभाले। पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक इन्हीं के रहते हुई। 

अटल बिहारी वाजपेयी

हिम्मत न हारने वाले नेताओं  में गिने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी  के नेता रहें।   मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मन्त्री रहते हुए वाजपेयी ने विदेशों में भारत की श्रेष्ठ छवि बनायी। पीएम के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी को लोकतन्त्र का सजग प्रहरी माना जाता है। उन्होंने इंडिया शाइनिंग का नारा दिया। अटल कहा करते थे कि भारत को  परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाना है। उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल में परमाणु परीक्षण हुआ। उन्होंने विश्व पटल पर देश को एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में उभारा।  

अरविंद केजरीवाल 

आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले आम आदमी पार्टी के संयोजक केजरीवाल ने हाल ही के दौर में बिजली पानी  शिक्षा और स्वास्थ को केंद्रित कर राजनीति की नई परिभाषा  गढ़कर सियासत में कदम रखे और देश की राजधानी दिल्ली के मुखिया बने। उन्होंने अपनी योजनाओं के सहारे पंजाब जीता और अब अन्य राज्यों की ओर रूख किया है। केजरीवाल की नई चुनावी सोच में बच्चों की बेहतर शिक्षा एक अलग विषय बनकर उभरा है जो भारत को आने वाले समय में अधिक मजबूत करेगा।

ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजनीति में एक जाना पहचाना चर्चित चेहरा हैं, जिसे भारतीय राजनीति में महिला संघर्ष के तौर पर देखा जाता है।  

 


 


 

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