नूपुर शर्मा कंट्रोवर्सी: हिंसा की जांच में सुस्ती पर झारखंड हाईकोर्ट नाराज, पूछा- क्यों नहीं मामला सीबीआई को दे दें?
झारखंड राजनीति नूपुर शर्मा कंट्रोवर्सी: हिंसा की जांच में सुस्ती पर झारखंड हाईकोर्ट नाराज, पूछा- क्यों नहीं मामला सीबीआई को दे दें?
- तत्कालीन एसएसपी को स्थानांतरित कर वेटिंग फॉर पोस्टिंग में रखा गया ?
डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने रांची में बीते 10 जून को हुई हिंसा के मामले में झारखंड पुलिस और सीआईडी की अब तक की जांच पर गहरा असंतोष जाहिर किया है। कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि इस मामले के लिए पहले एसआईटी बनाई गई, फिर सीआईडी को जांच सौंपी गई, लेकिन सीआईडी की केस डायरी में कोई प्रगति नहीं दिखती है। ऐसे में क्यों नहीं इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया जाये?
चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक पीआईएल पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पीआईएल में रांची में हुई हिंसा को सुनियोजित बताते हुए इसके एनआईए जांच की मांग की गई है। याचिका में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव यास्मीन फारूकी समेत रांची उपायुक्त, एसएसपी, मुख्य सचिव, एनआईए, ईडी को प्रतिवादी बनाया गया है।
इससे पहले विगत 12 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रांची में हुई हिंसा के विभिन्न बिंदुओं पर राज्य के डीजीपी और गृह सचिव को जवाब दायर करने को कहा था। आज कोर्ट ने उनके जवाब पर असंतुष्टि जताते हुए डीजीपी को फिर से जवाब देने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने रांची हिंसा की इस घटना के कुछ ही दिनों बाद एसएसपी के ट्रांसफर पर भी नाराजगी जताते हुए पूछा कि यह कौन सी प्रशासनिक अनिवार्यता थी जिसके तहत घटना के समय वहां मौजूद रांची के तत्कालीन एसएसपी को स्थानांतरित कर वेटिंग फॉर पोस्टिंग में रखा गया ? कोर्ट ने यह भी पूछा कि रांची में 10 जून को हुई हिंसा को लेक जब कुल 31 मामले दर्ज हुए थे तो सिर्फ एक मामला सीआईडी को देकर बाकी मामले की जांच पुलिस से कराने का क्या औचित्य है? इससे जांच अलग-अलग दिशा में जाने की संभावना बनती है।
बता दें कि भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के विवादित बयान को लेकर विगत 10 जून को विरोध प्रदर्शन के दौरान रांची में हिंसा हुई थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि दो दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे।
(आईएएनएस)
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