अब शादी के वक्त मिले गहने और संपत्ति 7 साल तक रहेंगे लड़की के नाम? दहेज कानून को और सख्त करने पर हो रहा विचार

दहेज पर नई याचिका अब शादी के वक्त मिले गहने और संपत्ति 7 साल तक रहेंगे लड़की के नाम? दहेज कानून को और सख्त करने पर हो रहा विचार

Bhaskar Hindi
Update: 2021-12-07 07:49 GMT
अब शादी के वक्त मिले गहने और संपत्ति 7 साल तक रहेंगे लड़की के नाम? दहेज कानून को और सख्त करने पर हो रहा विचार
हाईलाइट
  • ये सुझाव आपको लॉ कमिशन के सामने देना चाहिए- SC

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की गई है, जिसमें याचिकाकर्ता ने दहेज प्रथा के खिलाफ बने कानून को सख्त करने के साथ ही शादी में दिए जाने वाले गहने और संपत्ति को 7 साल तक लड़की के नाम किए जाने की मांग की है। इस मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि, ये सुझाव आपको लॉ कमिशन के सामने देना चाहिए। क्योंकि लॉ कमीशन ही कानून को सख्त करने पर विचार कर सकता है। 

क्या है याचिकाकर्ता की मांग?

  • दहेज के बढ़ते मामलों को देखते हुए एक अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई और याचिकाकर्ता ने मांग किया कि,
  • शादी से पहले एक प्री मैरिज काउंसलिंग की व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें लड़की और लड़के की काउंसलिंग हो।
  • इस काउंसलिंग के लिए एक कुरिकुलम कमीशन बनाने की जरुरत है, जिसमें लीगल एक्सपर्ट, शिक्षाविद, मनोविज्ञानिक होने चाहिए।
  • दहेज को समाज से मिटाने के लिए कुछ सख्त कदम उठाने होंगे। इसलिए एक दहेज निरोधक ऑफिसर की जरुरत है, जैसे आरटीआई ऑफिसर होता है।
  • शादी के समय लड़की को मिलने वाले गहने और संपत्ति महिलाओं के नाम 7 साल तक किया जाना चाहिए।

क्या कहा कोर्ट ने
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज कानून को कड़ा करने का सुझाव दिया और कहा कि, वर्तमान कानून में फिर से विचार करने की जरुरत है। गहने और संपत्ति नाम करने को लेकर अदालत ने कहा कि, याचिकाकर्ता के लिए सही होगा कि वह लॉ कमिशन के सामने यह सुझाव दे। 

प्री मैरिज काउंसलिंग को लेकर याचिकाकर्ता ने कहा कि, शादी के बाद रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य हो और इसके लिए नोटिस जारी होना चाहिए। इस मांग को लेकर जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि नोटिस जारी करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। 

अदालत ने कहा, प्री मैरिज काउंसलिंग और रजिसट्रेशन के परिणाम गंभीर हो सकते है क्योंकि इसके लिए गांव में रहने वाले कपल को काउंसलिंग के लिए शहर जाना पड़ेगा और यह सब देखना विधायिका का काम है।

 

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