अब इजराइल और UAE जैसे देशों को हथियार बेच रहा भारत, अमेरिका को भी खरीदार बनाने की कोशिशें जारी
अब इजराइल और UAE जैसे देशों को हथियार बेच रहा भारत, अमेरिका को भी खरीदार बनाने की कोशिशें जारी
- आयुध फैक्टरी बोर्ड को 2025 तक 30 हजार करोड़ का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य
- भारतीय रक्षा मंत्रालय ने 2015 से 2020 तक 146 करोड़ के हथियार बेचे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय रक्षा मंत्रालय तीनों सेनाओं के लिए कई देशों से हथियारों की खरीदारी करता है। अब अच्छी खबर यह है कि इनमें से कई देश अब भारत से भी छोटे हथियार खरीदने लगे हैं। रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आयुध फैक्टरियों द्वारा इजराइल, स्वीडन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ब्राजील, बांग्लादेश, बुलगारिया आदि देशों को हथियारों की बिक्री की जा रही है। यूएई ने सर्वाधिक खरीद की है। इसके अलावा फ्रांस समेत यूरोप के कुछ देशों और अमेरिका को भी हथियारों की बिक्री के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
हालांकि, जो हथियार इन देशों को बेचे जा रहे हैं, वह उतनी उच्च क्षमता के नहीं हैं जो हम उनसे खरीदते हैं। फिर भी आयुध फैक्टरियों के लिए इन देशों को हथियारों की बिक्री फायदे का सौदा साबित हो रहा है। इन देशों को सबसे ज्यादा 155 MM की तोपें बेची गई हैं जो डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई हैं तथा आयुध फैक्टरियों द्वारा निर्मित की जा रही हैं। बता दें कि भारत इजराइल, स्वीडन, यूएई समेत कई देशों के हथियारों का खरीदार रहा है।
2015 से 2020 तक 146 करोड़ के हथियार बेचे
दरअसल, आयुध फैक्टरियां पहले हथियारों का निर्यात नहीं करती थीं, बल्कि सैन्य एवं सुरक्षा बलों को आपूर्ति तक ही सीमित रहती थीं। लेकिन, 2015-16 से उन्हें निर्यात की अनुमति प्रदान की गई। तब छह करोड़ के हथियार उन्होंने निर्यात किए थे। 2019-20 में निर्यात 140 करोड़ पहुंच गया और 2020-21 में 225 करोड़ के करीब पहुंचने का अनुमान है।
आयुध फैक्टरी बोर्ड को 2025 तक 30 हजार करोड़ का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य
मंत्रालय के अनुसार मौजूदा समय में आयुध फैक्टरियों के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है कि वह अपना कुल आय का एक चौथाई राजस्व निर्यात से हासिल करें। आयुध फैक्टरी बोर्ड को 2025 तक 30 हजार करोड़ का राजस्व अर्जित करने का लक्ष्य दिया गया है तथा इस अवधि तक वह अपने निर्यात को 7500 करोड़ तक पहुंचाने की योजना पर कार्य कर रहा है। इसके लिए आयुध फैक्टरियों को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है तथा निर्माण में आटोमेशन को बढ़ाया जा रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनके द्वारा निर्मित हथियारों की मांग में इजाफा होगा।