भारतीय रेल के निजीकरण की कोई योजना नहीं : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
नई दिल्ली भारतीय रेल के निजीकरण की कोई योजना नहीं : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव
- केंद्रीय बजट के साथ रेल बजट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को कहा कि भारतीय रेल के निजीकरण की कोई योजना नहीं है, यह आश्वासन उनके पूर्ववर्ती ने भी दिया था।
अपने मंत्रालय के कामकाज पर राज्यसभा में बहस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक दायित्व वाला जटिल संगठन है और सबसे बड़ी चुनौती इस क्षेत्र में पूंजी निवेश थी, जिसे 2017 में केंद्रीय बजट के साथ रेल बजट के विलय के बाद तेज कर दिया गया था। वैष्णव ने यह भी कहा कि 2014 तक पूंजी निवेश केवल 45,000 करोड़ रुपये था, जिसे 2017 में दोगुना कर दिया गया था और अब तक कुल 2,45,800 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
यह बताते हुए कि किसी भी राज्य के साथ भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है, उन्होंने उन्होंने कहा कि राज्यों को रेलवे के कुशल संचालन के लिए भूमि अधिग्रहण में केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। नेटवर्क के विस्तार के बारे में उन्होंने कहा कि 2014 से पहले, ट्रैक बिछाने का औसत विस्तार प्रतिवर्ष केवल 1,520 किमी था, लेकिन अब इसे 3,000 किमी प्रतिवर्ष तक लाया गया है। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओब्रायन की टिप्पणियों पर वैष्णव ने कहा कि उन्होंने विजन दस्तावेज के अनुरूप कार्यो को अंजाम दिया।
मार्गो के विद्युतीकरण के बारे में मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीजल से इलेक्ट्रिक इंजन की ओर शिफ्ट करने का निर्देश दिया था। 2009 से 2014 तक औसत विद्युतीकरण प्रतिवर्ष 608 किमी था, जिसे 2021 में 3,440 किमी प्रतिवर्ष तक बढ़ाया गया था और अब तक हमने 50,000 किमी से अधिक का विद्युतीकरण किया है। नई पहल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने 2024 तक 75 वंदे भारत ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है।
वंदे भारत श्रृंखला की ट्रेनों को हमारे अपने इंजीनियरों द्वारा बनाया गया है और जिन दो ट्रेनों को पहले लॉन्च किया गया था, वे अब तक दो लाख किमी तक की यात्रा कर चुकी हैं, जल्द ही रोल आउट किया जाएगा। अहमदाबाद से मुंबई तक बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के कार्य के संबंध में उन्होंने सदन को बताया कि कार्य तीव्र गति से चल रहा है और अब तक 80 किमी एलिवेटेड कॉरिडोर बन चुके हैं। अन्य उपलब्धियों पर उन्होंने कहा, पीएम मोदी के मार्गदर्शन में हमने किसान रेल की शुरुआत की है और साथ ही छोटे व्यापारियों और एमएसएमई क्षेत्रों के लिए छोटे कंटेनरों को रोल आउट किया है। मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि परिचालन राशन को कम कर दिया गया है, लेकिन जल्द ही कार्गो वहन करने की क्षमता बढ़ने के बाद यह बेहतर होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि ट्रेनों के ठहराव को युक्तिसंगत बनाया गया है और कार्गो क्षमता को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि वे यात्री किराए में सब्सिडी दे सकें। यात्री किराए पर सब्सिडी प्रतिवर्ष 62,000 करोड़ रुपये है। नए रेलवे जोन और मंडल बनाने की मांग पर उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय आकांक्षाओं पर रेलवे का संचालन किया जाएगा। केरल की सिल्वरलाइन परियोजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मंत्रालय प्रस्ताव की जांच कर रहा है और जल्द ही फैसला लेगा। उन्होंने यह भी कहा, हमें उन इंजीनियरों की प्रशंसा करनी चाहिए, जिन्होंने स्वदेशी रूप से टक्कर रोधी उपकरण कवच तैयार किया है, जिसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है और इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए पूरी दुनिया रेलवे के इंजीनियरों की प्रशंसा कर रही है।
(आईएएनएस)