गोरखा रेजीमेंट में भर्ती को लेकर असमंजस में नेपाल
अग्निपथ योजना गोरखा रेजीमेंट में भर्ती को लेकर असमंजस में नेपाल
- भारतीय सेना ने कोविड महामारी की वजह से गोरखा सैनिकों की भर्ती को रोक रखा था
डिजिटल डेस्क, काठमांडू। भारत की मोदी सरकार की अग्निपथ स्कीम के तहत भारतीय सेना के गोरखा रेजिमेंट में नेपाली युवकों की भर्ती की अनुमति को लेकर नेपाल सरकार असमंजस में है।
नई दिल्ली ने स्पष्ट रूप से गोरखा रेजीमेंट में नेपाली युवकों की भर्ती को लेकर काठमांडू से राय मांगी है।
दरअसल, भारत का गोरखा रेजिमेंट नेपालियों की भर्ती करने की योजना बना रहा है, जिसके लिए 25 अगस्त को नेपाल के बुटवल और 1 सितंबर को धारन में टेस्ट होना है।
नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने विदेश मंत्री नारायण खडका और नेपाल सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की।
लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है कि भारत को भारतीय सेना में अग्निपथ योजना के तहत नेपाली युवाओं की भर्ती करने की अनुमति दी जाए या नहीं।
अग्निपथ योजना के तहत चयनित होने वाले 75 प्रतिशत लोगों को चार साल बाद स्वदेश लौटना होगा। इस योजना के तहत, भर्ती किए गए 75 फीसदी युवक 4 साल में रिटायर हो जाएंगे।
काठमांडू में सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि वे इस पूरे मामले पर अभी भी विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस अग्निपथ योजना को शुरू करने से पहले नेपाल सरकार से न तो राय ली और न ही सूचित किया।
भारतीय सेना ने कोविड महामारी की वजह से गोरखा सैनिकों की भर्ती को रोक रखा था।
नेपाली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अग्निपथ स्कीम को 14 जून को लॉन्च किया गया, तब भारतीय सेना ने भारतीय दूतावास के जरिए नेपाल के विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा था और भर्ती की अनुमति मांगी थी। भारतीय सेना ने इस भर्ती के दौरान स्थानीय प्रशासन का सुरक्षा सहयोग भी मांगा था। लेकिन नेपाल सरकार ने भारतीय पक्ष को कोई जवाब नहीं दिया। जिसके चलते भारतीय सेना ने भर्ती की तिथि को सार्वजनिक करना बंद कर दिया।
अग्निपथ स्कीम के तहत मोदी सरकार 46 हजार अग्निवीर की भर्ती करेगी।
(आईएएनएस)
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