Negotiation: शाहीन बाग से तीसरे दिन भी खाली हाथ लौटे वार्ताकार, रास्ता खोलने को लेकर नहीं बनी बात
Negotiation: शाहीन बाग से तीसरे दिन भी खाली हाथ लौटे वार्ताकार, रास्ता खोलने को लेकर नहीं बनी बात
- प्रदर्शनकारियों ने कहा- मीडिया के सामने होगी बातचीत
- प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली पुलिस से लिखित में सुरक्षा देने की बात कही
- वार्ताकारों ने एक तरफ के रोड को खोलने की बात कही
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। CAA और NRC के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों से वार्ताकारों की तीसरे दिन भी कोई बात नहीं बन सकी और वे खाली हाथ लौट गए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार सीनियर वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन शुक्रवार को तीसरे दिन भी शाम 6:30 बजे प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए शाहीन बाग पहुंचे, लेकिन कोई बात नहीं बन पाई।
शाहीनबाग में प्रदर्शनकारियों से बातचीत के बाद वार्ताकार साधना रामचंद्रन: अभी हम सोचेंगे कि दोबारा कब आएंगे, आएंगे जरूर। अभी हम चर्चा करेंगे, सोचेंगे, आएंगे। pic.twitter.com/q2aFOPAg37
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 21, 2020
शाहीन बाग का रास्ता खुलवाने के लिए वार्ताकारों को तीसरे दिन भी प्रदर्शनकारियों से जद्दोजहद करनी पड़ी। पुरुषों को बाहर कर केवल महिला प्रदर्शनकारियों से वार्ता में उन्होंने कहा कि आप लोग यातायात सामान्य करने के लिए कम से कम एक तरफ का रास्ता खाली कर दें। किसी भी खतरे की स्थिति में पुलिस आपको पूरी सुरक्षा देगी। जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर भरोसा न होने की बात कही। उनके सामने शाहीन बाग के एसएचओ ने चाक-चौबंध सुरक्षा का आश्वासन दिया, पर वे पुलिस के दावों को खोखला बताते रहे। प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन के सामने पुलिस से सुरक्षा का लिखित भरोसा देने को कहा। प्रदर्शनकारियों ने इसके बाद ही आगे की रणनीति का खुलासा करने की बात कही।
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन शाहीनबाग प्रदर्शनकारियों से बात करते हुए। pic.twitter.com/oGG6vQu9Cm
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 21, 2020
वार्ताकारों ने एक तरफ के रोड को खोलने की बात कही
शुक्रवार को शाहीन बाग पहुंचीं सीनियर एडवोकेट साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से सवाल किया कि आप लोगों ने सिर्फ एक रोड बंद की है, तो दूसरी रोड को किसने बंद किया है? इस पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम यहां पर धरने पर बैठे हैं और अपनी सुरक्षा के लिए रोड बंद किया है। इस पर सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने पूछा कि क्या आप लोगों ने ही दूसरी सड़क को बंद किया है, तो प्रदर्शनकारियों ने कहा कि दूसरी रोड के लिए हम जिम्मेदार नहीं है। इस पर साधना रामचंद्रन ने कहा कि तो क्या आपके मुताबिक सड़क बंद करने के लिए दिल्ली पुलिस जिम्मेदार है?
प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली पुलिस से लिखित में सुरक्षा देने की बात कही
इसके बाद वार्ताकारों ने रास्ते को लेकर दिल्ली पुलिस से पूछा, तो एसएचओ ने कहा कि रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने बंद किया है। इस पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर दिल्ली पुलिस हमको सुरक्षा देने का आश्वासन दे, तो हम रास्ता खोल सकते हैं. इस पर दिल्ली पुलिस ने फौरन कह दिया कि हम प्रदर्शनकारियों को पूरी सुरक्षा देंगे। हालांकि प्रदर्शनकारी राजी नहीं हुए और कहा कि हमको दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं हैं। दिल्ली पुलिस लिखित में सुरक्षा देने का वादा करे।
प्रदर्शनकारी बोले- एंबुलेंस के लिए हम रास्ता खोल देते हैं
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर एंबुलेंस आती है, तो उसको निकलने के लिए हम रास्ता दे देते हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शाहीन बाग में गोली चलती है, तो ऐसे माहौल में दिल्ली पुलिस हमको सुरक्षा कैसे दे पाएगी? प्रदर्शनकारियों ने कहा कि असम में एनआरसी लागू हुआ, तो जिन लोगों के पास कागजात नहीं थे, उनकी जमीन चली गई। प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि यह दिल्ली की वही पुलिस है, जिसने जामिया मिलिया इस्लामिया में घुसकर छात्रों पर लाठियां चलाई थी।
आपकी बात सुप्रीम कोर्ट पहुंचाएंगे: हेगड़े
शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों की बात सुनने के बाद संजय हेगड़े ने कहा कि हमने आपकी बात सुनी है। इसको सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा दूंगा। मैं सरकार का आदमी नहीं हूं, इसलिए कोई फैसला लेने का अधिकार मुझे नहीं है। इस तरह तीन दिन की बातचीत के बावजूद शाहीन बाग में रास्ता खोलने को लेकर बात नहीं बनी।
प्रदर्शनकारियों ने कहा- मीडिया के सामने होगी बातचीत
इससे पहले प्रदर्शनाकरियों ने कहा कि वो मीडिया के सामने ही बातचीत करेंगे। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर वार्ताकार मीडिया को बाहर जाने के लिए कहते हैं, तो फिर कोई बातचीत नहीं होगी। बता दें कि इससे पहले दोनों दिन बातचीत मीडिया के सामने नहीं हुई थी। वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से समस्या का समाधान निकालने के लिए खुद ही बातचीत करने की कोशिश में लगे रहे।