नौसेना प्रमुख ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से की मुलाकात, डीप ओशन मिशन के तौर-तरीकों पर की चर्चा
भारत की नीली अर्थव्यवस्था नौसेना प्रमुख ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह से की मुलाकात, डीप ओशन मिशन के तौर-तरीकों पर की चर्चा
- गहरे समुद्र के लिये प्रौद्योगिकी विकसित करने की परिकल्पना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली । नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने शुक्रवार को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और डीप ओशन मिशन में सहयोग बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की। सरकार ने दावा किया है कि वह भारत की नीली अर्थव्यवस्था की पथ प्रदर्शक है। सिंह ने कहा, संसाधनों के लिए भारत के डीप ओशन (गहरे महासागर) में पता लगाने और महासागर के संसाधनों का सतत उपयोग करने के लिए गहरे समुद्र के लिये प्रौद्योगिकी विकसित करने को लेकर डीप ओशन मिशन की परिकल्पना की गई है। भारत के भविष्य की अर्थव्यवस्था पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
भारतीय नौसेना डीप ओशन काउंसिल की सदस्य है और वह गहरे पानी में मानव चालित पनडुब्बी की लांचिंग और रिकवरी में शामिल रहेगी, जिसे डीप ओशन मिशन के तहत विकसित किया जाएगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और भारतीय नौसेना जल्द ही जलग्न वाहनों का डिजाइन और विकास करने के क्षेत्रों में जानकारी साझा करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले हैं।
जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि डीप ओशन मिशन 21वीं सदी में भारत के विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। डीप ओशन मिशन भारत सरकार की नीली अर्थव्यवस्था की पहलों में मदद के लिए मिशन मोड में चलाई जा रही एक परियोजना है। सिंह ने बताया कि मानवयुक्त सबमर्सिबल मत्स्य-6000 का प्रारंभिक डिजाइन पूरा हो गया है और इसरो, आईआईटीएम एवं डीआरडीओ सहित विभिन्न संगठनों के समर्थन से इसकी प्राप्ति शुरू हो गई है।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सेंसर और उपकरणों के साथ 3 लोगों को समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक ले जाने के लिए इसका डिजाइन किया गया है। मंत्री सिंह ने पिछले साल अक्टूबर में चेन्नई में भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन समुद्रयान लांच किया था और भारत इस तरह संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान, फ्रांस और चीन जैसे देशों के उस इलीट क्लब में शामिल हो गया, जिनके पास सागर की गहराई के कार्यकलापों के लिए इस तरह के पानी के भीतर चलने वाले वाहन हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि इस विशेष प्रौद्योगिकी से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को समुद्र में 1000 से 5500 मीटर के बीच की गहराई में स्थित पॉलीमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूल, गैस हाइड्रेट्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट जैसे संसाधनों की खोज गहरे समुद्र में करने में सुविधा मिलेगी।
डीप ओशन मिशन (डीओएम) एक बहु-मंत्रालयी और बहु-विषयक कार्यक्रम है जिसमें गहरे समुद्र में प्रौद्योगिकी के विकास पर जोर दिया गया है, जिसमें गहरे समुद्र में खनन, खनिज संसाधनों की खोज और समुद्री जैव विविधता, महासागरीय खोज, गहरे समुद्र में गहराई का अवलोकन और समुद्री जीव विज्ञान में क्षमता निर्माण के लिए एक अनुसंधान पोत के लिए प्रौद्योगिकी के साथ-साथ पानी की 6000 मीटर गहराई में चलने वाले मानवयुक्त सबमर्सिबल का विकास शामिल है। मोदी सरकार ने जून, 2021 में डीओएम को मंजूरी दी थी, जिसके लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा 5 साल के लिए कुल 4077 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया था।
(आईएएनएस)